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देश को बुलंदियों पर पहुंचाने के लिए वैज्ञानिक जी-जान से जुटे

           
जी-जान से जुटे वैज्ञानिक 
         विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हषर्वर्धन ने कहा है कि देश को बुलंदियों पर पहुंचाने के लिए वैज्ञानिक जी-जान से जुटे हैं और विज्ञान को युवाओं का प्रिय विषय बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है, जिससे कि देश को   नयी पीढ़ी से अच्छे वैज्ञानिक मिल सकें। हषर्वर्धन ने हाल में वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद :सीएसआईआर: और राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं सूचना स्रोत संस्थान :निस्केयर: द्वारा विज्ञान पत्रकारिता पर आयोजित कार्यक्रम से इतर बातचीत में कहा कि देश के वैज्ञानिक सराहना के पात्र हैं। वे राष्ट्र को नयी उंचाइयों पर ले जाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं। उनका मंत्रालय विज्ञान को युवाओं की पसंद बनाने के लिए सभी प्रयास कर रहा है जिससे कि देश को नयी पीढ़ी से अच्छे वैज्ञानिक मिल सकें। उन्होंने कहा कि देश आज तमाम तरह की सूचना प्रौद्योगिकी से लैस है और भारत की सुनामी चेतावनी प्रणाली विश्व में सर्वश्रेष्ठ है।इस प्रणाली के जरिए 10 मिनट के भीतर हर किसी को सुनामी के बारे में सूचित किया जा सकता है।
         केंद्रीय मंत्री ने भारतीय वैज्ञानिकों के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि देश के विज्ञानी आज जापान, अमेरिका, कनाडा और चीन के साथ मिलकर दुनिया की सबसे बड़ी दूरबीन बनाने के काम में जुटे हैं जो 30 मीटर की होगी।हषर्वर्धन ने कहा कि विज्ञान के क्षेत्र में भारत का हमेशा से महत्वपूर्ण योगदान रहा है और भारतीय वैज्ञानिकों ने हमेशा पेटेंट के दावे की बजाय मानवता की सेवा को अधिक तरजीह दी है। उन्होंने कहा कि आचार्य जगदीश चंद्र बोस भी ऐसे ही वैज्ञानिक थे जिन्होंने अपने आविष्कारों के लिए कभी पेटेंट की परवाह नहीं की और हमेशा दुनिया के कल्याण को सबसे उपर माना।रेडियो के आविष्कारक के रूप में गुल्येल्मो मार्कोनी का नाम दर्ज है, लेकिन यह आविष्कार भारतीय वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस की देन है। मंत्री ने कहा कि इस संबंध में मार्कोनी के पोते ने एक पत्र कोलकाता के बोस इंस्टिट्यूट के अधिकारियों को भेजा जिसमें लिखा है कि बोस को रेडियो के आविष्कार का श्रेय नहीं मिलना उनके साथ ऐतिहासिक अन्याय है। हषर्वर्धन ने कहा कि मार्कोनी के पोते द्वारा लिखे गए पत्र को देखना उनके लिए एक भावनात्मक क्षण था। 

लेखक : नेत्रपाल शर्मा, नयी दिल्ली