शाहीबजादो के शहीदी गुरुपर्व पर संगत ने दी भाव बीनी श्रदांजलि
आगरा : गुरुद्वारा श्री गुरु नानक दरबार कमला नगर के तत्वधान में सिंधु भवन पर आयोजित कीर्तन दरबार में साहिबजादों एवं माता गुजर कौर की शहादत को याद किया बार्षिक गुरमत दीवान में । इस अवसर पर विशेष रूप से देहरादून से पधारे भाई कुलदीप सिंह ने प्रथम पात शाही श्री गुरु नानक देव जी की वाणी "मरन न मंदा लोका आखिये" अर्थात जिस वक्त किसी भी इंसान का जनम होता है और वो धरती पर आकर अच्छे और बुरे जो भी कर्म करता है उसे इंसान के साथ साथ भगवान भी देखते है और उसके अच्छे कर्मो को याद किया जाता है ।
अपने दूसरे शब्द में उन्होंने तीसरे पात शाही गुरु अमरदास जी की वाणी "नानक ऐसी मरनी जो मरे ता सद जीवन होए " अर्थात जो इंसान मरने वाले सच के खातिर अपना बलिदान देते हैं वह कभी मरते नहीं है और सदा के लिए अमर हो जाते है । अपने अगले सबद में भाई कुलदीप सिंह ने कविता "दाम ता दे सकूँ भेटा मंज़ूर करो" में उस वक़्त का जिक्र किया है की जब बैसाखी के समय श्री गुरु गोविन्द सिंह जी अमृत संचार करवा रहे फिर श्री गोविन्द सिंह जी ने पांच प्यारो से खुद अमृत छका ।
दिल्ली से पधारे भाई जागीर सिंह भाई बलवीर सिंह ने "देह शिवा वर मोहे एह शुभ करमन ते कबहूं न टरो का गायन कर संगत में जोश भर दिया । गुरु का ताल के हजूरी रागी भाई गुरलाल ने "राजन के राजा " का गायन किया । संत बाबा प्रीतम सिंह ने सम्भोदित करते हुए बताया की श्री गुरु गोविन्द सिंह के दो बड़े पुत्र बाबा अजीत सिंह एवं बाबा जुझार सिंह आज ही के दिन चमकौर की गड़ी में वीरगति को प्राप्त हुए और दोनों छोटे शाहीबजादे बाबा जोरावर सिंह एवं बाबा फ़तेह सिंह जिनकी उम्र उस वक़्त 9 एवं 7 वर्ष की थी सरहिंद में जिन्दा दीवार में चिनवा दिया गए थे परंतु उन्होंने अपना धर्म नहीं छोड़ा ।
ये रहे मौजूद
मंजीत सिंह ,गुरु के ताल के मीडिया प्रभारी मास्टर गुरनाम सिंह, समन्वयक बन्टी ग्रोवर, अजीत सिंह, जसप्रीत सिंह, करन जीत सिंह, राजेंद्र सिंह मोनू, गुरमुख व्यानि, भाई जागीर सिंह, ओमप्रकाश, जगतार सिंह जग्गा, परमजीत कौर, मनप्रीत कौर आदि