ब्रज की लोक कला है सांझी महोत्सव
आगरा : कमला नगर स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर पर सांझी महोत्सव का आयोजन किया गया | सांझी महोत्सव का आयोजन मंगलवार से प्रारम्भ हो कर 9 अक्टूबर तक निरंतर प्रतिदिन किया जायगा | सांझी महोत्सव की मुख्य यजमान संजय कुकरेजा व अर्चना कुकरेजा ने सांझी को साझाया | सांझी कला को संरक्षित करने के लिए इस्कॉन आगरा द्वारा एक प्रयास किया जा रहा है । मंदिर पर सांझी को देखने के लिए भक्तो की सेकड़ो की संख्या में भीड़ उमड़ी|
सांझी का इतिहास
सांझी को पहली बार राधा रानी ने साझाया था इसका वास्तविक नाम संध्या की देवी है| जब श्री कृष्ण मथुरा छोड़ कर वृन्दावन चले गए थे तो राधा रानी और गोपियों ने अश्विन मास के कृष्ण पक्ष में फूल, रंगोली के रंगो और गाय के गोबर आदि को मिलाकर कृष्णा की लीलाओ का चित्रण किया | जो संध्या के समय करने के कारण सांझी कहलायी |
श्री जगन्नाथ मंदिर के अध्यक्ष अरविन्द स्वरूप ने बताया कि सांझी ब्रज की एक बहुत ही प्राचीन लोक कला है, जो आज लुप्त होने के कगार पर है। स्वयं राधा रानी गोपियों के साथ मिलकर अश्विन मास के पुरे कृष्ण पक्ष मैं सांझी बनाया करती थी। कुछ वर्षो पूर्व तक भी ब्रज के हर घर मैं संध्या के समय सांझी का निर्माण किया जाता था पर आज आधुनिकता की दौड़ में हम अपनी संस्कृति को भूल चुके है । इस पर उन्होंने आगे कहा कि सांझी कला को आज संरक्षण देने की आवश्यकता है । इस अवसर पर केशव अग्रवाल, गौरव बंसल, राहुल बंसल, ओमप्रकाश, अमित मित्तल, मुकेश तिवारी, अमित बंसल, विपिन अग्रवाल आदि मौजूद रहे |