वंदना माहौर, आगरा
मासिक धर्म या पीरियड्स एक प्राकृतिक प्रकिया है। जो महिलाओं को हर महीने तीन से सात दिन होती है। पीरियड्स लड़कियों में 11 से 15 वर्ष की उम्र होने शुरू हो जाता है कुछ लड़कियाँ घबरा जाती हैं जब उन्हें पहली बार पीरियड्स होते हैं। डॉक्टर बताते हैं कि ट्रोसटिस्ट गलिस्तीन नामक केमिकल जो गर्भाशय में होता हैं उसकी वजह से ही महिलाओ में पीरियड्स के समय दर्द उत्पन्न होता है लेकिन इसमें डरने वाली कोई बात नहीं हैं क्योकि यह एक सामान्य बदलाव है। इस दौरान रक्त का बहाव होता है। महिलाओं को मासिक धर्म के समय पेट दर्द और कमर दर्द के साथ कुछ और समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है।
कई बार पीरियड्स में दर्द इतना बढ़ जाता है कि असहनीय हो जाता है। पीरियड्स के समय शरीर में कमज़ोरी, थकान भी हो जाती है और साथ ही स्वभाव भी चिढ़चिढ़ा हो जाता है। यह दर्द कमर के निचले हिस्से में होता है और पीठ में होता है। दर्द का मुख्य कारण होता है पीरियड्स के दौरान अधिक रक्तस्राव होना होता है। यह दर्द महिलाओ में पहले बच्चे को जन्म देने के बाद कम या पूरी तरह से ख़त्म हो जाता है लेकिन महिलाओ ये दर्द रहता ही है।
ये है तीन उपाय
- पीरियड्स के दर्द से आराम पाने के लिए आप गर्म पानी की सिकाई कर सकती हैं। गर्म पानी की सिकाई आजमाया हुआ तरीका है और बहुत ही कारगर तरीका है। गर्म पानी की सिकाई से गर्भाशय की मांसपेशिया शांत हो जाती हैं जिससे दर्द में आराम मिलता है। इसके लिए आप रबर की बेग या किसी प्लास्टिक की बोतल में गर्म पानी भरकर उससे पेट के निचले हिस्से की सिकाई करे। आप तोलिये को गर्म पानी में भिगो कर भी अपने पेट की सिकाई कर सकती हैं इससे भी दर्द में आराम मिलता है।
- आप एक उपचार और कर सकते हैं जिसमे आप एक गिलास गर्म पानी में एक चम्मच दालचीनी और एक चम्मच शहद मिलकर माहवारी के पहले दिन, दिन में दो या तीन बार पी लें। इससे भी आपको दर्द में आराम मिलेगा ककी दालचीनी और शहद प्राकृतिक औषधि का काम करती हैं।
- तीसरा उपाए है सौंफ। सौफ गर्भाशय में होने वाली ऐंठन को शांत करके बेचैनी और दर्द को काम करती है। इसके आप एक कप उबलते पानी में एक चम्मच सौंफ डाले। पांच मिनट तक इसे धीमी आंच पर पकाये। इसे ठंडा होने रख दीजिये। जब ये ठंडा हो जाये तब इसमें एक चम्मच शहद मिला ले। इस हर्बल चाय का दिन में दो बार सेवन करने से दर्द में बहुत राहत मिलती है।