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वेबसाइट को बनाएं मोबाइल फ्रेंडली वरना होगी दिक्कत


गूगल ने अपने सर्च इंजन में बड़ा बदलाव किया है. इसके  अंतर्गत उन वेबसाइट्स को दिक्कत होने वाली हैं, जो  मोबाइल फ्रेंडली नहीं हैं. आने वाले दिनों में अगर आप अपने स्मार्टफोन या फिर टैबलेट पर कुछ सर्च करते हैं, और गूगल सर्च द्वारा सुझाये गये विकल्पों में आपकी फेवरेट वेबसाइट न हो, तो चौंकिएगा मत.

ऐसा भी संभव है कि उस वेबसाइट में आपकी जरूरत का कंटेंट हो, पर वह गूगल के सर्च रिजल्ट में न दिखे. इसकी वजह है गूगल के सर्च इंजन में बड़ा बदलाव. मंगलवार से गूगल ने अपने सर्च इंजन के सर्च बिहेवियर में बदलाव किया है.

नये फॉर्मूला सर्च में उन्हीं वेबसाइट्स को तवज्जो दी गयी है, जिसे गूगल ‘मोबाइल फ्रेंडली’  मानता है. जो भी वेबसाइट गूगल द्वारा तय किये गये नये पैमाने पर फिट नहीं बैठती, उसे सर्च पेज पर नीचे जगह मिलेगी. वहीं पैमाने पर खरा उतरने वाली वेबसाइट टॉप रैंकिंग पायेंगी.

आपको बता दें कि गूगल का नया फॉर्मूला डेस्कटॉप और लैपटॉप पर नहीं लागू होगा. इन दिनों ज्यादातर लोग सर्च करने के लिए अपने स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं, ऐसे में ये बदलाव यूजर बिहेवियर को बड़े स्तर पर प्रभावित करेंगे. कई सर्च एक्सपर्ट इस बदलाव को ‘मोबाइल गेडोन’ का नाम दे रहे हैं. गूगल के इस बदलाव से उन वेबसाइटों को ज्यादा समस्या आने वाली है, जिन्हें डेस्कटॉप को ध्यान में रखते हुए बनाया गया था. ऐसी वेबसाइटों की ग्राफिक्स को मोबाइल पर लोड होने में ज्यादा वक्त लगता है.

इसके अलावा इन वेबसाइटों के टेक्स्ट भी छोटे स्क्रीन पर पूरी तरह से फिट नहीं बैठते हैं. ऐसा नहीं है कि गूगल ने ये बदलाव अचानक ही किये हैं. गूगल कई सालों से डिजिटल प्लेटफॉर्म से जुड़ी कंपनियां से कहता रहा है कि वे मोबाइल यूजर को ध्यान में रखते हुए अपनी साइट बनाएं क्योंकि ज्यादातर लोग मोबाइल पर सर्च करते हैं. तभी तो नये सर्च फॉर्मूले की जानकारी 2 महीने पहले ही दे दी गयी थी.

विवाद होने के चांसेज हैं

गूगल ने हर वेबसाइट को नये फॉर्मूले के अनुरूप तैयार करने के लिए गाइडलाइन जारी किये थे और टेस्टिंग टूल भी जारी किया था. जानकारों का मानना है कि इस बदलाव के बाद एक बार फिर डिजिटल वर्ल्ड में हो हल्ला मचना तय है. इससे पहले गूगल ने 2011 और 2012 में सर्च इंजन में बड़े बदलाव किये थे तब भी विवाद हुआ था.

उस वक्त गूगल का कहना था कि उसका मकसद गलत वेबसाइटों को सर्च रिजल्ट से बाहर निकलना था. लेकिन कई वेबसाइट ने आरोप लगाया कि गूगल के इस बदलाव से उनको बड़ा नुकसान हुआ क्योंकि उनके कंटेंट को सर्च पेज पर खराब रैंकिंग मिली. जिस वजह से उनके कंटेंट को नहीं पढ़ा गया.