अनार क्यो है खास... क्यो रहती है बीमारिया अनार खाने वालों से दूर
अतिसार- अनार के रस के साथ सौंफ, धनिया और जीरा इनको बराबर मात्रा में पीस कर इनका चूर्ण बनाकर सेवन करें। अथवा अनार के रस में पका हुआ केला मथकर इसका सेवन करें।
शरीर में खून की कमी- एनीमिया शीघ्र दूर करने के लिए अनार का रस और मूली का रस समान मात्रा में मिलाकर पीएं।
कब्जीयत (कब्ज) - अनार के पत्तों को उबाल कर उसका काढ़ा पीने से कब्ज से पीछा छुड़ाया जा सकता है। अजवायन का चूर्ण फांक कर फिर अनार का रस पीएं। तो कब्ज से मुक्ति मिलेगी।
एसीडिटी (अम्ल पित्त)- अनार रस और मूली का रस समान मात्रा में लेकर उसमें अजवायन, सैंधा नमक चुटकी भर मिलाकर सेवन करने से अम्ल पित्त बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है।
यदि आपको देर रात की पार्टी से अपच हो गया है तो पके अनार का रस चम्मच, आधा चम्मच सेंका हुआ जीरा पीसकर तथा गुड़ मिलाकर दिन में तीन बार लें। प्लीहा और यकृत की कमजोरी तथा पेटदर्द अनार खाने से ठीक हो जाते हैं। इसका शर्बत एसिडिटी को दूर करता है।
दस्त तथा पेचिश में : 15 ग्राम अनार के सूखे छिलके और दो लौंग लें। दोनों को एक गिलास पानी में उबालें। फिर पानी आधा रह जाए तो दिन में तीन बार लें। इससे दस्त तथा पेचिश में आराम होता है।
दमा/खांसी में : जवाखार आधा तौला, कालीमिर्च एक तौला, पीपल दो तौला, अनारदाना चार तौला, इन सबका चूर्ण बना लें। फिर आठ तौला गुड़ में मिलाकर चटनी बना लें। चार-चार रत्ती की गोलियां बना लें। गरम पानी से सुबह, दोपहर, शाम एक-एक गोली लें। इस प्रयोग से दुःसाध्य खांसी मिट जाती है, दमा रोग में राहत मिलती है। बच्चों की खाँसी, अनार के छिलकों का चूर्ण आधा-आधा छोटा चम्मच शहद के साथ सुबह-शाम चटाने से मिट जाती है।