अगर आप फ्लैवर कॉन्डोम इस्तेमाल करते है तो एक बार उससे होने वाले खतरनाक प्रभाव भी पढ़ ले
- 2014 से सेक्स की उम्र 18 से घटकर 14 वर्ष पर पहुंची
- भारत में बिना प्रिसक्रिप्शन के कॉन्डोम व गर्भपात गोलियों पर रोक लगनी चाहिए
- होमो सेक्सुएलिटी से एचआईवी व रेबुला का खतरा बढ़ता है
- बच्चों को सेक्स एजूकेशन के लिए गायनेकोलॉजिस्ट व शिक्षक आगे आए
कलाकृति में आयोजित आइकोग में सेक्स एजूकेशन इंन इंडिया नीड ऑफ द आवर, में पैनल डिसकशन में डॉक्टरों ने इस विषय पर विचार मंथन किया। पैनल में मौजूद पिलिपिन्स के डॉ. रोनाल्टो, डॉ. अर्चना चौहान, डॉ. रंजू अग्रवाल आदि शामिल थे। उन्होंने कहा कि सेक्स सम्बंधी आधी अधूरी जानकारी बच्चों के लिए खतरनाक हो सकती है। वह इस सम्बंध में माता पिता से बात करने में झिझकते हैं और अपने साथियों से उन्हें सही जानकारी नहीं मिल पाती। ऐसे में बच्चों को सही दिशा दिखाने का सबसे बड़ा दायित्व गायनेकोलॉजिस्ट व शिक्षकों का है। पैनल डिसकशन में कहा गया कि फ्लेवर कॉन्डम स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है। यह सिर्फ ओरल सेक्स के लिए बने हैं। वेजाइनल सेक्स करने पर इससे वैक्टीरियल इनफेक्शन हो सकता है। जिसका कारण है इसमें पॉलीसेकराइट्स, सैकरीन, एसपार्टिव प्रयोग किया जाता है। कैसरीन वजाइना को ड्राइ कर देती है, जिससे इनफेक्शन होन का खतरा बढ़ जाता है। डॉ. मुकेश चंद्रा ने कहा कि भारत में बिना प्रिसक्रिप्शन के कॉन्डोम व गर्भपात गोलियों पर रोक लगनी चाहिए। इनके आसानी से उपलब्ध होने की वजह भी से ही सेक्स की उम्र में कमी आ रही है। कम्पनियों को भी इसके साथ वार्निंग देनी चाहिए। फोग्सी इस विषय पर पॉलीसि बनाने के लिए सरकार से चर्चा कर रही है। पैनल डिसकसन में होमो सेक्सुएलिटी पर चर्चा हुई, जिसमें कहा गया कि इससे एचाईवी व रेबुला जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।