आगरा : एतिहासिक शहर आगरा मे आए दिन कोई न कोई इवैंट युवा प्रतिभा को निखारने के मकसद से स्पोन्सरो की मदद से आयोजित होता है कार्यक्रम को भव्य बानने के लिए मुंबई से निर्णायक के रूप मे बतौर मुख्य अतिथि टीवी व फिल्म कलाकारो को बुलाया जाता है जिसके एवज मे पब्लिसिटी कर प्रतिभागियो को लुभाया जाता है की वो हमारे कार्यक्रम मे हिस्सा ले और अपनी प्रतिभा को एक नया आयाम दे। ऐसे मे सड़क पर लगे होर्डिंग-फ़्लेक्स देख कर प्रतिभागी की कार्यक्रम मे भाग लेने की इच्छा और अधिक तीव्र हो जाती है। सिलसिला 200 से 300 रुपए के ऑडिशन से शुरू होता है और फॉर्म लेने के साथ उसे आयोजक प्रलोभन देता है कि उसे फाइनल शो मे बॉलीवुड स्टार के सामने अपने टेलेंट दिखने का मौका मिलेगा और अगर वह इस कार्यक्रम मे विजेता बनता है तो उसे बॉलीवुड की फिल्म मे एक अभिनेता के साथ काम करने का अवसर मिलेगा। जबकि अक्सर देखने को मिलता है जब फ़ाइनल शो होता है तो कार्यक्रम मे लम्बे इंतजार के बाद सूचना दी जाती है कि जो अभिनेता आने वाले थे उनकी पत्नी कि अचानक से तबीयत बिगड़ने पर उन्हे एयरपोर्ट से ही वापस मुंबई लौटना पड़ा या उनकी जगह किसी जूनियर आर्टिस्ट को भेज दिया गया है।
2 हो रहे मिस्टर एंड मिस आगरा कॉन्टेस्ट
ऐसा ही एक मामला आगरा मे पुलिस के सामने आया है जो कि एन०एस० फिल्म द्वारा आयोजित कराये जा रहे मि० एंड मिस आगरा कॉन्टेस्ट कराया जा रहा है जिसमे बीते दिनो एक ऑडिशन भी लिया जा चुका है दूसरी ओर आरोही डांस अकादमी के निर्देशक अमित तिवारी का कहना है कि वो पिछले 4 वर्ष से लगातार ये शो करा रहे है और अगले माह शो भी है और ये फर्जी शो है जो कि एन०एस० फिल्म द्वारा रतन सिंह और नीरज सिंह द्वारा किया जा रहा है और उन्होने एसपी सिटी से इस संस्था पर कार्यवाही करने कि गुहार लगाई है|
कॉन्टेस्ट मे आगे बढ्ने की मांगी जाती है कीमत
कुछ कार्यक्रम आयोजक तो ऑडिशन से लेकर सेमी फ़ाइनल तक को सीरियस तरीके से नहीं लेते है लाइट और साउंड तक कि ठीक से व्यवस्था नहीं होती है जिसके कारण प्रतिभागी स्वय को लज्जित महसूस करता है। ऑडिशन के बाद जब सेमी फ़ाइनल राउंड मे वह आता है तो उसे एसएमएस या फोन से सूचना दी जाती है कि अगर वो सेमी फ़ाइनल मे अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करना चाहता है तो उसे 500 से 700 रुपेये जमा करने होंगे उसके बाद ऐसे ही फ़ाइनल शो के लिए चयन होने पर 2 से 5 हजार रुपये कि मांग की जाती है। प्रतिभागी को ये भी लालच दिया जाता है की अगर वह इस शो को जीतता है तो उसे शो टाइटल भी मिल सकता है जिसे भविष्य मे उसकी प्रोफाइल मजबूत होगी।
विजेता होता है पहले से फिक्स
कभी कभी तो आयोजक सीधे फ़ाइनल मे ही प्रतिभागी को शो मे ये कह कर शामिल कर लेता है की ये नॅशनल टीवी पर शहर का नाम रोशन कर चुका है। अब सवाल उठता है की अगर नियम सबके लिए समान है तो सभी को ऑडिशन प्रक्रिया से हो कर गुजरना चाहिए और जब आयोजक ने एक बार फॉर्म फीस से ली तो धीरे-धीरे प्रतिभागी को आगे बढ़ाने के नाम पर लूटा क्यो जा रहा है। इसका तो मतलब जो प्रतिभाशाली प्रतिभागी आर्थिक रूप से मजबूत नहीं होता होगा वो धन के अभाव मे आगे अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन नहीं कर पता होगा। जबकि शहर के प्रमुख व्यवसायियों से कार्यक्रम को भव्य बनाने व उनके प्रतिष्ठानो के प्रचार-प्रसार लिए मोटी रकम भी ली जाती है तो फिर ये लापरवाही और फ्रॉड क्यो किया जाता है ?
अब कुछ कार्यक्रमों मे शामिल होने से पहले प्रतिभागियो को समझना होगा कि कही प्रतिभा निखारने कि आड़ मे उसका शोषण तो नहीं हो रहा है।