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नेत्रदान पर बनी डॉक्यूमेंटरी को युवा खासा कर रहे पसंद




आगरा : इस खूबसूरत दुनियाँ में लाखों ऐसे लोग हैं जो देख नहीं सकते हैं यह फिल्म मुख्य रूप से नेत्रहीन छात्रों के दर्द को दर्शाती है कि किस प्रकार विपरीत परिस्थितियों में भी ये हार नहीं मानते हैं और जिंदगी में आने वाली सभी परेशानियों और चुनौतियों का डट कर सामना करते हैं | इसमें दर्शाया गया है कि शिक्षा आदि के लिए इन्हें अपना घर परिवार तक छोड़ना पड़ता है , अपने अंधेपन की वजह से कई बार तो इनकी जान तक खतरे में पड़ जाती है | फिर भी एक उम्मीद की रोशनी हमेशा इनके दिल में जगी रहती है और ये लोग भी इस दुनिया के रंग और रूप देखना चाहते हैं | ये लोग भी मोरों को नाचते हुए देखना चाहते हैं, पहाड़ों से गिरते हुए झरने को देखना चाहते हैं| इस फिल्म में उन नेत्रहीनों के दर्द को बहुत ही प्रभावी ढंग से दर्शाया गया है | उन्हें जिंदगी के हर कदम पर पहाड़ जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है |

शैलेन्द्र नरवार

   
      फिल्म के दृश्य, संगीत, संवाद ,दिल को छू लेते हैं | ये लोग भी समाज की मुख्य धारा से जुड़ना चाहते हैं इसलिए यह फिल्म लोगों से अपील करती है कि लोग नेत्रदान के लिए आगे आयें और इस दुनियाँ से जाने के बाद वो अपनी आँखें दान करके किसी अँधियारे जीवन में एक उम्मीद की रोशनी लायेँ| लघु फिल्म एक उम्मीद रोशनी की उन लोगों के जीवन पर आधारित है जो देख नहीं सकते हैं समाजसेवी शैलेन्द्र नरवार द्वारा निर्मित निर्देशित इस फिल्म में नेत्रहीनों के जीवन में कदम कदम पर आने वाली समस्याओं का बहुत ही मार्मिक फिल्मांकन किया गया है | इस लघु फिल्म को सोशल मीडिया व यू ट्यूब पर युवाओ द्वारा काफी देखा और पसंद किया जा रहा है |          
           गौरतलब है कि शैलेन्द्र नरवार ने इससे पूर्व भी शैक्षिक व पर्यावरण से संबन्धित डॉक्यूमेंटरी का निर्माण किया है जिसमें फतेहपुर सीकरी मुग़ल राजधानी या जैन आस्था केन्द्र व सेव यमुना प्रमुख हैं | फिल्म के निर्माण में समाजसेवी रंजन शर्मा का भी सहयोग रहा है |