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इस सरकारी आदेश की ये स्कूल उड़ा रहे है धज्जियां... जाने

आगरा : शिक्षा पर सभी का अधिकार है वही एक तरफ तो सरकार शिक्षा के अधिकार के तहत कान्वेंट स्कूलो मे गरीब बच्चो को शिक्षा दिलाने पर ज़ोर दे रही है वही आगरा के कुछ स्कूल सरकारी आदेशो की भी निरंतर अनदेखी कर रहे है ऐसा ही एक मामला आज कलेक्ट्रेट जिलाधकारी कार्यालय मे आरटीई एक्टिविस्ट धनवान गुप्ता ले कर पहुंचे| इस पर उन्होने बच्चो को प्रवेश जल्द से जल्द दिलाने के लिए एक प्रार्थना पत्र भी दिया है| 

क्या है मामला
गरीबी से जूझ रहे कुछ परिवारों मे शिक्षा की रोशनी देने का काम करने वाले धनवान गुप्ता 3 गरीब बच्चो रोशन, दिलीप व कार्तिक को उनके एक किलोमीटर के दायरे मे आने वाले स्कूल मे प्रवेश की सभी प्रक्रिया पूर्ण करने के बाद भी शहर के प्रताष्ठित होली पब्लिक स्कूल मे उन्हे दाखिला नहीं दिया गया| आज जब बच्चे स्कूल पहुंचे तो उन्हे वहाँ प्रवेश सिर्फ इसलिए नहीं दिया गया कि उनके डॉकयुमेंट उन तक नहीं पहुंचे है और उन्हे आज फिर टाल दिया गया| जबकि इस पर प्रशासन का कहना है कि सभी डॉकयुमेंट भजे जा चुके है| 

पिछले वर्ष भी प्रवेश न दिला सका प्रशासन
शिक्षा के अधिनियम 2009 के अंतर्गत आवास विकास के रागेंद्र स्वरूप स्कूल मे वर्ष 2016 मे भी प्रसासन स्कूल मे प्रवेश दिलाने मे नाकाम रहा और स्कूल की और से प्रवेश प्रक्रिया समाप्त होने का कारण देते हुए अगले वर्ष प्रवेश देने की बात कही परंतु आज तक उन बच्चो का दाखिला स्कूल ने नहीं लिया है| इस मामले मे राष्टीय बाल आयोग ने जिलाधिकारी आगरा को सम्मन तक भेजे यही नहीं मामला इतना बढ़ गया की मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री तक पहुंचा उसके बाद भी जब कुछ न हो सका तो अल्का दिवाकर आरटीई एक्टिविस्ट धनवान गुप्ता की मदद से ने अपने हक़ के लिए सुप्रीम कोर्ट मे भी फरियाद लगाई |  

एक किमी० पर बादल जाते है स्कूल के नियम
एक ही ग्रुप की दो शाखा होली पब्लिक किड्स, लोहामंडी मे बच्चो को नि:शुल्क डायरी के 50 रु० शुल्क लिया जाता है वही होली पब्लिक जूनियर हाईस्कूल देहली गेट शाखा मे कोई शुल्क नहीं लिया जाता है बल्कि प्रधानाचार्य समेत समस्त स्टाफ गरीब बच्चो को चॉकलेट दे कर उनका स्वागत करता है| 

क्या कहते है आरटीई एक्टिविस्ट
आरटीई एक्टिविस्ट धनवान गुप्ता का कहना है कि नि:शुल्क एंव बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के पात्र बच्चो का उत्पीड़न करना घोर निंदनीय है ऐसे स्कूल संचालको व प्रधानाचार्यो पर कठोर से कठोर कार्यवाही की जाए ताकि इस अधिनियम का सम्मान हो सके|