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जीएसटी के खिलाफ जूता व्यापारियो ने दिखाये कड़े तेवर... देखे

आगरा :  जूता कुटीर उद्योग से जुड़े मटीरियल, सोल, कम्पोनेंट व जूते पर अधिकतम कर की दरें तथा 500 रुपये मूल्य के फुटवीयर पर अमिट छाप की बाध्यता के विरोध में आगरा शू-फैक्टर्स फेडरेशन के आव्हान पर हींग की मंडी के आसपास सभी जूता मार्केटों व धाकरान, नाथ कॉम्पलैक्स तथा सुभाष पार्क के सामने के सभी जूते व मटीरियल सोल व कम्पोनेंट के व्यापारी अपने प्रतिष्ठान बंद कर हड़ताल पर रहे। जूता हस्तकार फेडरेशन से जुड़े काफी कारखानेदार व कारीगर भी अपने कारखाने बंद करके हींग की मंडी में एकत्रित हुए जहां से दोपहर 12 बजे एक शांति मार्च रॉक्सी सिनेमा से चलकर नाथ काम्पलेक्स धाकरान पर विशाल जुलूस के रूप में पहुंचा|

फेडरेशन अध्यक्ष गागनदास रामानी ने सभा को संबोधित करते हुए बताया कि वित्तमंत्री अरुण जेटली को समय समय पर ई-मेल व रजिस्ट्री पत्र भेजकर आगरा के जूता कुटीर उद्योग को अन्य राज्यों में बनने वाले फुटवीयर से अलग रखने व 500 रुपये तक के फुटवीयर पर जीएसटी अवधारणा के अनुरूप कर मुक्त करने तथा अमिट छाप की बाध्यता समाप्त करने 500 से 1000 रुपये के जूते पर 5 प्रतिशत तथा उससे ऊपर 12 प्रतिशत कर की दरें निर्धारित करने का अनुरोध किया जा चुका है। 17 जून को वित्तमंत्री से मुलाकात कर मटीरियल, सोल, कम्पोनेंट तथा जूते पर 5 प्रतिशत कर की दर निर्धारित करने की मांग रखी जा चुकी है लेकिन सरकार द्वारा अभी तक कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया है। इस सांकेतिक हड़ताल को 27 जून मंगलवार तक जारी रखने का निर्णय लिया गया है। सभी को जूता दस्तकार फेडरेशन के अध्यक्ष भरतसिंह ने भी संबोधित किया।


ये रहे मौजूद
सर्वश्री मोहनलाल कश्यप, दिलीप खूबचंदानी, सोभाराम पुरसनानी, चांद दीवान, घनश्याम दास, जयकिसन, जोगिंद लथूरा, राजेंद्र कुमार, श्याम पुंडीर, विश्वामित्र महाजन, एमएस कूपर, टेकचंद, सुखदेव गिडवानी, विनय जैन, मुरलीधर, दिलप्रीत, वासुदेव मूलचंदानी, घमश्याम रोहड़ा, योगेश महाजन, लाल सिंह वर्मा, अजय महाजन, जेठा पुरसनानी, प्रदीप सरीन, राजकुमार, पुरसनानी, अशोक मिड्डा, प्रमोद गुप्ता, रोहित ग्रोवर, मनु गुप्ता, कन्हैयालाल राठौड़, भरत सिंह, श्याम जरारी, गजेंद्र पिप्पल, विजय महाजन, आदिल भाई, जमाल

आगरा का जूता मुगल कालीन से ही प्राचीन कुटीर उद्योग है। वर्तमान में इससे अधिकांश दलित व गरीब वर्ग जुड़ा है चूंकि जूता बस्तियों में हाथ से ही बनता है और गरीब का पूरा परिवार इसे बनाने में सहयोग करता है। प्रस्तावित जीएसटी के प्रावधान काफी जटिल हैं। व्यवहारिक तौर पर कारीगर इससे बचना चाहते हैं। 100 रुपये तक का जूता शून्य और 1500 तक पर 5% फीसदी उसके बाद 12% फीसदी जीएसटी लगे। केंद्र सरकार को इस पर विचार करना चाहिए।
एलएस वर्मा, जूता व्यवसाई, हींग की मंडी