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सिनेमा लोगों को सोचने पर मजबूर करता है : कबीर खान

खबर : कोमल पंचमटिया, मुंबई  

मुंबई : फिल्मकार कबीर खान का मानना है कि ऐसी फिल्म जो कोई संदेश देती हो, वह लोगों को सोचने के लिए बाध्य कर सकती है। हालांकि वे आशंका जताते हैं कि इससे वास्तविकता नहीं बदल सकती। वर्ष 2015 में आई फिल्म बजरंगी भाईजान के निर्देशक ने कहा कि उनकी इस फिल्म ने लोगों को भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों के बारे में सोचने को बाध्य किया। यह फिल्म एक भारतीय व्यक्ति के बारे में है जो एक बच्ची को पाकिस्तान में उसके घर पहुंचाने में मदद करता है।

उन्होंने कहा, यह (सिनेमा) इतना शक्तिशाली है कि वह लोगों को सोचने और मंथन करने पर बाध्य कर सकता है, भले उन्हें बदल नहीं सके। बजरंगी भाईजान के बाद बहुत से लोगों ने सोचा कि भारत और पाकिस्तान के संबंध आखिर किस दिशा में बढ़ रहे हैं। जंग के मुकाबले क्या यह एक बेहतर विचार नहीं है? उन्होंने कहा कि सिनेमा लोगों को अपनी राय पर फिर से विचार करने को मजबूर करता है। कबीर ने कहा, लेकिन क्या यह इतना शक्तिशाली है कि वास्तविकता को बदल दे ? दुर्भाग्य से शायद नहीं। उनकी नई फिल्म भारत-चीन के बीच वर्ष 1962 में हुए युद्ध की पृष्ठभूमि पर बनी ट्यूबलाइट है जो 23 जून को रिलीज होनी है।