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Exclusive : स्कूल की प्रिंसिपल ने पंचर मिस्त्री को बनाया बड़ा कारोबारी... जाने



आगरा : पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान जैसे नारे लगाने वाले स्कूल व सरकार के दाबे अब फीके साबित होने लगे है जब वास्तविक हकीकत सामने आ रही है| ऐसा ही एक मामला लोहा मंडी के होली पब्लिक किड्स स्कूल का सामने आया है| जहां एक ओर तो स्कूल ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत एडमिशन पाये हुए दलित व गरीब बच्चे तनु व आरव को नियम के विरुद्ध नर्सरी मे पिछले सत्र मे फ़ेल कर इस वर्ष भी नर्सरी मे ही पढ़ाया जा रहा है वही बीते सत्र मे भी गुंजन, हार्शिका, अभिमन्यु को भी स्कूल ने एडमिशन नहीं दिया गया था| दूसरी ओर इसी स्कूल मे सरकारी सिस्टम से चयनित दिलीप माहौर को ये कह कर एडमिशन नहीं दिया गया कि बच्चे के पिता का भरा-पूरा कारोबार है तीन दुकाने भी है व आर्थिक स्थिति मजबूत है| 

पंचर मिस्त्री के घर के रास्ते को बताया दुकान 
दिलीप माहौर को होली पब्लिक किड्स स्कूल ने पिता की आर्थिक स्थिति मजबूत होने का हवाला देते हुए एडमिशन नहीं दिया है| जब वास्तविक हकीकत देखने बिग पेजेस के पत्रकार पहुंचे तो मामला कुछ और ही निकला| दिलीप माहौर अपने पिता होरी लाल के साथ एक कमरे मे रहता है वही कमरा दिन मे पंचर की दुकान बन जाती है और रात मे वही दिलीप माहौर के रहने का घर भी है और ऊपर जाने के रास्ता भी है| दिलीप माहौर के पिता होरी लाल अपने तीन भाई राम बाबू, राकेश, पप्पू के साथ 3 मंजिल के 18 गज के मकान मे रहते है| दिलीप के पिता अपने भाइयो के साथ साइकिल व स्कूटर के पंचर लगते है| 

खण्ड शिक्षा अधिकारी नीलम सिंह को लिखा पत्र
क्या कहती है स्कूल की प्रिन्सिपल नम्रता अग्रवाल 
दिलीप माहौर के संबंध मे खण्ड शिक्षा अधिकारी नीलम सिंह को पत्र लिख कर कहा है कि दिलीप माहौर के पिता की आर्थिक स्थिति मजबूत है और बड़ा कारोबार है साथ मे तीन दुकाने भी है| अभिवक की जांच के लिए भी अनुरोध किया है| 

क्या कहते है अपसा के सचिव सुशील चन्द्र गुप्ता 
शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के अनुसार किसी भी स्कूल को बच्चे को नर्सरी मे फ़ेल नहीं किया जा सकता है साथ ही जिस भी स्कूल ने गरीब बच्चे के पिता को बड़ा कारोबारी बताकर एडमिशन नहीं दिया है तो बहुत गलत है| दोनों ही मामलो मे स्कूल ने बच्चो के साथ गलत किया है| 

क्या कहना है आर०टी०ई० एक्टिविस्ट धनवान गुप्ता 
आर० टी० ई० के तहत चयनित दलित व गरीब बच्चो के हक़ के साथ खिलवाड़ करने वाली स्कूल की प्रिन्सिपल को जो सज़ा दी जाए वो कम है|