दोस्तो, जैसा की बिग पेजेस की टीम ने आपसे वादा किया है कि
हर हफ्ते हम आपको गज़ब शख्शियत से रूबरू कराएंगे तो आज हम आपको ऐसे व्यक्तित्व से
मुलाक़ात कराने वाले है जिन्होने अपने पत्रिकारिता के जुनून के लिए बहुत कुछ
दरकिनार कर दिया |
अपने पिता के खिलाफ खबर भी खबर
लिखने में गुरेज नहीं किया। इन्हे
पत्रकारिता मे उत्कृष्ट योगदान के लिए पत्रकार गौरव पुरस्कार से भी नावाजा जा चुका
है| इनकी निष्पक्ष लेखनी के लिए इन्हे पूरे देश मे
जाना जाता है और वर्तमान मे ये आई टी वी नेटवर्क के मुख्य संपादक है| अब तो आप भी पहचान गए होंगे कि हम 42 वर्षीय युवा
संपादक अजय शुक्ला की बात कर रहे है| आइये, जानते है उनके बारे मे विस्तार से उनकी ही
जुबानी...
अजय जी आपके परिवार मे
कौन-कौन है?
ईश्वर की कृपा से भरा
पूरा परिवार है। मेरे माता-पिता लखनऊ में, मेरी
धर्मपत्नी और दो प्यारी बेटियाँ चंडीगढ़
में रहते हैं। दोनों भाई भी अपने परिवार के साथ नौकरी वाले स्थानों पर रहते हैं।
आपने अपनी प्रारम्भिक
शिक्षा कहाँ से ली?
हमने कानपुर के सेंट पॉल
स्कूल, जेके इंटर कालेज और रामलला हायर सेकेंडरी स्कूल से
ली। पापा के साथ बहराइच चला गया वहाँ 9वी से 12वी की पढ़ाई पूरी की और इंजीनियरिंग
करने के लिए बैंगलोर चला गया। वहाँ मन नहीं लगा तो कानपुर अपने बाबा के पास आ गया|
हमारे पाठको को अपनी
आगामी शिक्षाओ के बारे भी मे बताए|
कानपुर के पीपीएन कॉलेज
से ग्रेजुएशन करने के बाद वीएसएसडी कॉलेज से लॉ की पढ़ाई की| भारतीय विद्या भवन, मुंबई से
पत्रकारिता मे पीजी डिप्लोमा किया|
मेरी शुरुआत आज अखबार मे
कानूनी खबरों की रिपोर्टिंग से हुई फिर दैनिक जागरण मे बतौर उपसंपादक कार्य का
मौका मिला, बाद में अपराध की रिपोर्टिंग के लिए चुना गया| उसके बाद कुबेर टाइम्स मे भी क्राइम बीट ही मेरे
पास रही| अमर उजाला मेरठ जॉइन किया और 1999 का बागपत सीट का
लोकसभा चुनाव कवर किया। पंजाब के अमृतसर का ब्यूरो मिला तो वहां छह महीने काम
किया। लखनऊ में स्वतंत्र चेतना में विशेष खबरें लिखते हुए ही सिविल सेवा की तैयारी
की।
जैसे हर फील्ड मे सबका
कोई न कोई आइडल होता है आपका पत्रकारिता मे कौन रहा?
पत्रकारिता में कदम रखा
तब लखनऊ दैनिक जागर के संपादक विनोद शुक्ल जी से प्रभावित था। गिरीश मिश्र जी से
बहुत कुछ सीखा। वो मेरे लिए भाग्य विधाता की तरह हैं, क्योंकि उन्होंने ईमानदारी से काम करना सिखाया।
शशि शेखर जी ने मुझे मौका दिया और उनके रेगुलर दिये टिप्स से मैं पहचान बना सका।
उन्होंने इतना सिखाया कि आज भी मैं उनके टिप्स से ही इतनी सफलता से काम कर पा रहा
हूं। रवीन ठुकराल ने बड़े भाई की तरह यकीन किया और साथ दिया जिससे मैं सिटी एडीटर
से ग्रुप एडीटर तक काम कर सका।
अजय जी हमने सुना है आपने
अपना घर छोड़ दिया था, क्या कारण रहा?
दरसल, सिविल सेवा में सफलता के बाद भी मैंने पत्रकारिका
को ही अपना करियर बनाने का फैसला किया। मेरे इस निर्णय से मेरे पिताजी बहुत आहत
हुए। वैसे उनका गुस्से से बचने के लिए मुझे घर छोड़ना पड़ा।
अगले पत्रकारिता के सफर
से भी रूबरू कराये|
गिरीश जी हमें दैनिक
भास्कर चंडीगढ़ ले गये। उसके बाद अमर उजाला चंडीगढ़ में माय सिटी पायलेट प्रोजेक्ट
की तरह लांच करने का अवसर मिला| उसके बाद
वर्ष 2008 में अमर उजाला का पंजाब-हरियाणा का चीफ बना दिया गया। नवंबर 2009 में
चंडीगढ़-अंबाला के एडीटर के तौर पर आज समाज में मौका मिला।
आपको इलेक्ट्रोनिक या
टीवी पत्रकारिका का अवसर मिला या नहीं?
हाँ, मिला न, इंडिया न्यूज़
में पंजाब-हरियाणा और चंडीगढ़ के हेड के तौर पर मिला। एम॰जे अकबर के साथ द संडे
गार्डियन में भी एडिटर के रूप में चंडीगढ़ में काम किया| उसके बाद वर्ष 2015 मे हिंदुस्तान दिल्ली-एनसीआर
का एडिटर बना। फरवरी 2016 में आगरा-अलीगढ़ यूनिट के संपादक के रूप मे काम का मौका
मिला। निष्पक्ष और सटीक यूपी विधानसभा चुनाव चुनौती के रूप में सामने था जिसको सफलता
के साथ पूरा किया|
आजकल सोशल मीडिया का दौर
चल रहा है क्या प्रिंट मीडिया इससे
प्रभावित हो रही है?
सोशल मीडिया बहुत ही
अच्छा प्लेटफॉर्म बन कर उभरा है और प्रिंट मीडिया के लिए यह एक ताकत बनकर उभरा है।
सोशल मीडिया उसके न्यूज सोर्स का काम करता है। प्रिंट के पत्रकार के लिए यह तथ्यों
और लोगों के विचारों को एकत्र करने का एक अच्छा माध्यम है। मेरे नजरिये मे पॉज़िटिव
है|
आपको कई मर्तबा सम्मानित
किया गया है, किन्ही दो प्रमुख अवार्ड के बारे मे बताएं?
वर्ष 2006 में बेस्ट
इन्वेस्टीगेटिव रिपोर्टर अवार्ड मिला। वर्ष 2016 मे भुवनेश्वर मे पत्रकार गौरव
पुरस्कार |
अजय जी इस इंटरव्यू को पढ़
रहे युवा पत्रकारो के लिए क्या कहना चाहेंगे?
पत्रकार को साधना के रूप
मे ज्ञान अर्जित करना चाहिए। ईमानदारी और निडरता से जनसरोकारों वाली खबरें
विश्वसनीयता के साथ प्रस्तुत करें तो सदैव जीतेंगे। आपको प्रक्टिकल नोलेज के
साथ-साथ थोर्टिकल नोलेज भी होनी चाहिये और इसके लिए सभी विषयों पर पढ़ना बेहद
जरूरी है| पत्रकारिता मे कुछ भी शॉर्टकट नहीं है ये नियमित
अध्ययन मांगती है|
काम को ही भगवान समझना चाहिए।
आप अपनी सफलता के श्रेय
किसे देते है?
परिवार, माता-पिता, मित्र, शिक्षक और मेरे गुरुजनों को मेरी सफलता का श्रेय
जाता है। मेरे लिये मेरा कार्यालय मंदिर है और काम मेरी पूजा। दफ्तर के पांव छूकर
काम शुरू करता हूं।