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अरुण जेटली ही 2014 में पीएम के लिए नरेंद्र मोदी को लाये

आनन्द मोहन शुक्ल, दिल्ली


दिल्ली : अरुण जेटली के दादा लाहौर के पंजाब से थे, वह पंजाब जो पाकिस्तान के पास है | अरुण जेटली के परिवार में कुल 8 सदस्य थे | दादा के जल्दी मृत्यु हो जाने से अब परिवार में कोई ऐसा सदस्य नही था जो घर का देखभाल कर सके| उनकी दादी एक ही थी जिन्हें अब बच्चों की देखभाल करनी थी | दादी को अब एक रास्ता दिखाई दिया जिससे बच्चों का भविष्य आगे बढ़ सके | एक मात्र वह रास्ता पढ़ाई ही था | 4 बच्चें वकील बन गये और वकालत करने लगे | तभी भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हो गया और उनका पूरा परिवार हिंदुस्तान का शरणार्थी बन गया, वहाँ से सिर्फ कपड़े और गहने लेकर दिल्ली आ गए | 

अरुण जेटली श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में पढ़ते हुए ही वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ गए और वह तभी पहली बार नरेंद्र मोदी जी मिले | उसके बाद वह लॉ फ़ैकल्टी दिल्ली यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया और वह पहली छात्र संघ का चुनाव लड़ा और दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्र संघ के अध्यक्ष बन गए | वही से उनकी राजनीति की शुरुआत होती है | उन दिनों जय प्रकाश नारायण ने इंदिरा गांधी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था और वह अरुण जेटली से मिले | उस समय जेपी नेशनल कमेटी युथ फॉर स्टूडेन्ट बनाई औरजेटली को उसका संयोजक बना दिया |

जेटली को बाजपेई के सरकार में कई मंत्रालय मिले जैसे कि सूचना प्रसारण, कानून मंत्रालय और जहाजरानी | सभी काम जेटली अच्छे तरीके से किया और कभी पर निराश नही किया | 1999 में जेटली बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता बन गए | 2004 में बीजेपी के सरकार गिर गयी और अब कांग्रेस की सरकार आ गयी | 2002 में हुए गुजरात गांड और फर्जी इनकाउंटर से मोदी सरकार गिर सकती थी तभी जेटली आगे आये और मोदी को कानूनी तरीका बताया कि कैसे विपक्ष,अदालत और चुनाव आयोग से निपटा जाए ताकि सरकार बचाई जा सके| अब किसके नेतृत्व में 2014 में चुनाव लड़ा जाए | तभी जेटली नरेंद्र मोदी को लाये | कोई नरेंद्र मोदी स्वीकार करने को तैयार नही था | यही कारण था जब अरुण जेटली अमृतर से कैप्टेन अमरिंदर सिंह के खिलाफ चुनाव लड़े और हार गए तब भी अरुण जेटली को कैविनेट ने वित्त मंत्रालय मिला और राज्यसभा द्वारा संसद में भेजा गया | 5 साल अरुण जेटली बीजेपी सरकार में बतौर मंत्री रहे और अपना काम अच्छे से किया | 2019 के लोकसभा चुनाव स्वास्थ के कारण ना लड़ने का फैसला लिया | जब नरेंद्र मोदी की सरकार पर कोई मुसीबत आयी है तो अरुण जेटली सामने आए है | अरुण जेटली 24 अगस्त को दोपहर दिल्ली के एम्स में अंतिम सांस ली |