आगरा: ''ताजमहल पर उमड़ने वाले बेहिसाब पर्यटकों का प्यार अब उसे भारी पड़ने लगा है। इससे सफेद संगमरमर की इमारत को गंभीर खतरा पैदा हो गया है।'' नेशनल एनवायरमेंट इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट ने एक शोध के बाद यह सिफारिश की है कि निश्चित संख्या में ही यहां पर्यटकों को प्रवेश दिया जाना चाहिए। 9 हजार से ज्यादा पर्यटक तो किसी भी हाल में अंदर नहीं होने चाहिए। उसने इसे खतरनाक स्थिति करार दिया है। सदियों से लाखों-करोड़ों कदमों तले घिस रहे संगमरमरी इमारत की सीढ़ियों पर लकड़ियों का कवर तक चढ़ चुका है। मुख्य मकबरे का फर्श भी कई जगह से खराब हो चुका है। कुछ साल पहले यमुना में जल संकट और घिसती सीढ़ियों को देखते हुए ताज की मजबूती पर सवाल उठे थे। इसके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने ताज की भारण क्षमता तय करने के लिए नीरी से अध्ययन कराया।
एक साल से भी अधिक समय तक हुए अध्ययन की रिपोर्ट अब नीरी ने एएसआई के दिल्ली मुख्यालय को उपलब्ध करा दी है। नीरी के साइंटिस्टों के द्वारा जो रिपोर्ट एएसआई को भेजी गयी है जिसमें ताजमहल पर ओवर क्राउड यानी सीमा से अधिक पर्यटक से ताज को खतरे की बात कही है। रिपोर्ट में ताजमहल पर आने वाली असीमित भीड़ से ताज की पच्चीकारी और उसकी नींव को नुकसान की कही गई है।
पर्यटकों की संख्या सिमित करने की राय को राष्ट्रीय स्मारक समिति के अध्यक्ष भी ताज के संरक्षण के लिए इसे सही तो मानते है लेकिन पर्यटन पर इसका असर पड़ने की बात कहते है। नीरी ने ताजमहल के सबसे बड़े आकर्षण मुख्य मकबरे पर विशेष ध्यान देने को कहा है। यहां एक घंटे में छह हजार सैलानियों को ही प्रवेश देने की बात कही गई है। नीरी ने इस बात पर भी जोर दिया है कि सैलानी किसी स्थान पर एकजुट न हों और वह घूमते हुए स्मारक देखें, ताकि मुख्य मकबरे की बुनियाद पर अधिक भार न पड़े।