नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी स्वच्छ भारत मिशन के लिए आगे का रास्ता आसान नहीं है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस मिशन को आगे चुनौतियांे का सामना करना पड़ेगा क्योकि ज्यादातर कंपनियो व्यवहार में बदलाव के कार्यक्रम के बजाय ढांचा मसलन शौचालय आदि बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। उनका ज्यादातर ध्यान ग्रामीण इलाको पर है। इस रिपोर्ट में 100 कंपनियो के जल स्वच्छता तथा साफ सफाई पर कारपोरेट सामाजिक दायित्व(सीएसआर) के रख का अध्ययन किया गया। इनमें बीएसई 500 में सबसे सबसे बड़ा सीएसआर बजट रखने वाली कंपनियां हैं।
फिक्की की पूर्व अध्यक्ष तथा इंडिया सैनिटेशन कोलेशन की प्रमुख नैना लाल किदवई ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन साफ सफाई के आसपास केंद्रित है। सड़क से लेकर कंपनियो के बोर्डरूम तक। उन्होंने कहा, ‘‘कारपोरेट जगत की ओर से उल्लेखनीय समर्थन के बावजूद आगे का रास्ता चुनौतीपूर्ण है। हम इस तथ्य को समझने की जरूरत है कि यह मुद्दा ढांचे के साथ व्यवहार और सामाजिक नियमो में बदलाव से संबंधित है। रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया है कि सिर्फ 20 प्रतिशत कंपनियां ही लोगो के व्यवहार या बर्ताव में बदलाव लाने का लक्ष्य लेकर चल रही हैं, जबकि यह खुले में शौच को समाप्त करने की दृष्टि से सबसे अधिक महत्वपूर्ण है।