आगरा : गुर्दे की पथरी के ऑपरेशन के बाद टांका नहीं लगेगा, दो से तीन मिलीमीटर के छेद (पेन के रिफिल बराबर) से पथरी कब निकल गई, मरीज को इसका अहसास तक नहीं होगा। अमेरिका, बांग्लादेश सहित साउथ एशिया और साउथ ईस्ट एशिया के देशों के 120 डॉक्टरों ने रेनबो हॉस्पिटल में रविवार 30 को परकुटेनियस नेफ्रोलिथोटॉमी पीसीएनएल का प्रशिक्षण लिया।
आगरा यूरोलॉजी एसोसिएशन द्वारा आयोजित मास्टर क्लास में डॉ मधुसूदन अग्रवाल, डॉ एसके पाल, डॉ जनक देसाई, डॉ अनीश श्रीवास्तव और डॉ आशीष पाटिल रेनबो हॉस्पिटल के मॉडयूलर ओटी में गुर्दे की पथरी से पीडित मरीजों के मिनी पीसीएनएल से ऑपरेशन किए। इसका लाइव टेलीकास्ट कांफ्रेंस हॉल में किया गया। साथ ही दुनिया भर में वेबकास्ट भी किया गया।
आयोजक डॉ मधुसूदन अग्रवाल ने बताया कि पहले पीसीएनएल में एक सेंटीमीटर तक के छेद किए जाते थे। पथरी निकालने के बाद टांके लगाने पडते थे। मगर, अब दो से तीन मिलीमीटर के एक छेद से किसी भी आकार की गुर्दे की पथरी को निकाला जा सकता है। यह छेद इतना छोटा होता है कि टांके लगाने की जरूरत नहीं होती है। यहां तक कि मरीज को एहसास नहीं होता है कि उसका ऑपरेशन हुआ है।
ये रहे मौजूद
रेनबो हॉस्पीटल के निदेशक डॉ. नरेन्द्र मल्होत्रा, डॉ ज्ञान प्रकाश, डॉ अनुराग यादव, डॉ एएल व्यास, डॉ दिलीप मिश्रा, डॉ मनोज शर्मा, डॉ सुधीर वर्मा, डॉ विनय तिवारी