आजाद भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट में पदस्थ 4 वरिष्ठ जजों ने प्रेस कांफ्रेंस की. इन जजों ने न्यायपालिका में जारी भ्रष्टाचार पर अपनी बात रखी.
प्रेस कांफ्रेंस करने वाले सुप्रीम कोर्ट के ये 4 वरिष्ठ जज हैं जस्टिस जस्ती चेलमेश्वर, जस्टिस रंगन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ. यह कांफ्रेंस जस्टिस जस्ती चेलमेश्वर के आवास पर आयोजित हुई. भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब देश के वरिष्ठतम जजों में से 4 जज मीडिया के जरिए देश के सामने मुखातिब हुए.
आइए, एक नजर डालते हैं इन 4 वरिष्ठ जजों पर
जस्ती चेलमेश्वर
आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में जन्मे जस्टिस जस्ती चेलमेश्वर केरल और गुवाहाटी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे हैं. उन्हें वकालत विरासत में मिली. भौतिकी विज्ञान में स्नातक करने के बाद उन्होंने 1976 में आंध्र युनिवर्सिटी से कानून की डिग्री हासिल की. अक्टूबर, 2011 में वह सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे. जस्टिस जस्ती चेलमेश्वर और रोहिंगटन फली नरीमन की 2 सदस्यीय बेंच ने उस विवादित कानून को खारिज किया जिसमें पुलिस के पास किसी के खिलाफ आपत्तिजनक मेल करने या इलेक्ट्रॉनिक मैसेज करने के आरोप में गिरफ्तार करने का अधिकार था. उन्होंने इस नियम पर लंबी बहस की बात कही थी. उनके इस फैसले की देशभर में जमकर तारीफ हुई और बोलने की आजादी को कायम रखा. साथ ही, चेलमेश्वर ने जजों की नियुक्ति को लेकर नेशनल ज्यूडिशियल अपॉइन्ट्मन्ट्स कमीशन (NJAC) का समर्थन किया, साथ ही वह पहले से चली आ रही कोलेजियम व्यवस्था की आलोचना कर चुके हैं.
जस्टिस रंजन गोगोई
जस्टिस रंजन गोगोई असम से आते हैं और वह सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम जजों में शामिल हैं, और वरिष्ठता के आधार पर अक्टूबर, 2018 में वह देश की सबसे बड़ी अदालत में जस्टिस दीपक मिश्रा के रिटायर होने के बाद मुख्य न्यायाधीश बनने की कतार में हैं. ऐसा हुआ तो वह भारत के पूर्वोत्तर राज्य से इस शीर्ष पद पर काबिज होने वाले पहले जस्टिस होंगे. उन्होंने गुवाहाटी हाई कोर्ट से करियर की शुरुआत की. वह फरवरी, 2011 में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने. अप्रैल, 2012 में वह सुप्रीम कोर्ट के जज बने. उनके पिता केशब चंद्र गोगोई असम के मुख्यमंत्री रहे हैं.
जस्टिस मदन भीमराव लोकुर
जस्टिस मदन भीमराव लोकुर की स्कूली शिक्षा नई दिल्ली में हुई. उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से इतिहास (ऑनर्स) में स्नातक की डिग्री हासिल की. बाद में उन्होंने दिल्ली से ही कानून की डिग्री हासिल की. 1977 में उन्होंने अपने वकालत करियर की शुरुआत की. इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट में वकालत की. 2010 में वह फरवरी से मई तक दिल्ली हाई कोर्ट में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रहे. इसके बाद अगले महीने जून में वह गुवाहाटी हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश पद पर चुन लिए गए. इसके बाद वह आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के भी मुख्य न्यायधीश रहे.
जस्टिस कुरियन जोसेफ
जस्टिस कुरियन जोसेफ ने 1979 में अपनी वकालत करियर की शुरुआत की. सन 2000 में वह केरल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश चुने गए. इसके बाद फरवरी, 2010 में उन्होंने हिमाचल प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली. 8 मार्च, 2013 को वह सुप्रीम कोर्ट में जज बने.