भारत बंद के दौरान हुई हिंसा के बाद कई शहरों में अब हालात सामान्य हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर कई झूठी बातें तेजी से वायरल हो रही हैं. कुछ सामाजिक लोग हिंसा से जुड़ी तस्वीर, वीडियो और मैसेज शेयर कर लोगों को भ्रमित कर रहे हैं. आप भूल कर भी वायरल हो रहे झूठे मैसेजों के बहकावे में ना आए. आइए जानते हैं सोशल मीडिया पर हिंसा से जुड़ी अफवाएं और उनका सच जो हो रहा है वायरल....
वायरल: दलित प्रदर्शनकारियों ने पुलिस को पीटा. सच: यह तस्वीर जून 2017 की है. कानपुर में आईसीयू में रेप मामले में भीड़ ने पुलिस पर हमला कर दिया था. इसे अब दलित प्रदर्शन का बताकर वायरल किया जा रहा है.
वायरल: एक ही शख्स करणी सेना और भीम सेना की तरफ से सच: यह तस्वीर फेसबुक और सोशल मीडिया पर लोग शेयर कर रहे हैं. इसके बारे में कहा जा रहा है कि पहले यह युवक करणी सेना के हिंसक प्रदर्शन के दौरान हाथ में तलवार लेकर सड़कों पर उतरा था. अब वही शख्स दलितों के आंदोलन के दौरान भीम सेना का कार्यकर्ता बनकर सड़कों पर उतरा है. लेकिन यह अब तक पुष्टि नहीं हो पाई है कि तस्वीर में दिखाई दे रहा युवक कौन है और क्या यह एक ही शख्स है.
वायरल: सोशल मीडिया पर यह मैसेज वायरल हो रहा है कि दलित आंदोलन के खिलाफ अब जनरल वर्ग के लोग 10 अप्रैल को भारत बंद करेंगे. यह सभी आरक्षण के विरोध में किया जाएगा. सच: हम आपको बता दें कि यह मैसेज पूरी तरह गलत है. इस तरह का कोई आंदोलन नहीं हो रहा है ना ही किसी संगठन ने 10 अप्रैल को भारत बंद का ऐलान किया है.
वायरल: दलितों का आरक्षण खत्म किया जा रहा है.सच : यह मैसेज वायरल हो रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण खत्म कर दिया है, लेकिन यह झूठ है. कोर्ट ने तो यह कहा है कि एससी-एसटी एक्ट में दर्ज होने वाले केसों में तत्काल गिरफ्तारी करने के बजाय जांच की जाए.
वायरल: पथराव में बच्ची का सिर फूटा. सच : यह फोटो बिहार के मुजफ्फरपुर के माड़ीपुर का है. लेकिन कभी हापुड़ तो कभी बांसवाड़ा का बताकर वायरल किया गया था.
वायरल: दलित संगठनों ने किया हनुमानजी की फोटो का अपमान. सच: सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है इसमें कुछ युवक दलित संगठन के बैनर तले हनुमानजी की फोटो का अपमान कर रहे हैं. बता दें कि यह वीडियो दक्षिण भारत में 27 मई 2017 को हुए एक प्रदर्शन के दौरान का है. इसका भारत बंद से कोई लेना-देना नहीं था.