वंदना माहौर, आगरा
आगरा : भागदौड़ भरी जीवन शैली के चलते मनुष्य ने प्रकृति और स्वयं का सान्निध्य खो दिया है। इसी वजह से जीवन में कई तरह के रोग और शोक जन्म लेते है। आज लोगो में कई तरह के रोग पनप रहे है। इन्ही रोगों में एक रोग ऐसा भी है जिसे लोग रोग या बीमारी ही नहीं समझते हैं और इसी नासमझी के कारण यह रोग जब बढ़ जाता है। कान से सम्बंधित रोग ऐसा है जिसमे कान से कम सुनने वाले रोगियों की संख्या ज़्यादा देखने को मिलती है। इसके बारे में बिग पेजेस की वंदना माहौर ने बात की ऑडिओलॉजिस्ट अश्विनी चौधरी से।
क्या है समस्या
डॉक्टर ने हमें बताया की ये कम सुनने की समस्या, एक समस्या नहीं बल्कि एक बीमारी है जिसका चिकित्सा शास्त्र में उपचार भी है लेकिन 100 में से 5 मरीज ही इस रोग को गंभीरता से लेते हैं और अपने उपचार के लिए डॉक्टर से संपर्क करते हैं। ऑडिओलॉजिस्ट अश्विनी चौधरी ने बताया की बहुत देर तक फ़ोन पर बात करना, ईरफ़ोन का इस्तेमाल करना तेज़ आवाज़ वाली जगह पर काम करने से मनुष्य की सुनने की क्षमता कम हो जाती है क्योकि लगभग 25 डेसिमल ही हमारे कानो के लिए सुरक्षित आवाज़ होती है लेकिन जब हम लगातार 40 से 45 डेसिमल की आवाज़ सुनते हैं तब हमे हियरिंग लॉस होना शुरू हो जाता है।
ऑडिओलॉजिस्ट अश्विनी चौधरी ने बताया जिन लोगो के जोड़ो में दर्द रहता हैं उनको भी कानो में परेशानी रहती है क्योकि कान भी तीन हड्डियों के जोड़ो से वाइब्रेट करके काम करता है लेकिन घुटना हर वक्त चलता रहता है इसीलिए उसका दर्द हमें जल्दी पता चल जाता है कानो की तीन हड्डियों का जोड़ बहुत ,मज़बूत होता है इसीलिए हमे जल्दी पता नहीं चलता है। कुछ सालो पहले तक यह रोग 70-80 वर्ष के व्यक्तियों में ही पाया जाता था | वर्तमान समय में 30 से 50 वर्ष तक के मरीज हमारे पास आते हैं जो आकर बोलते हैं की उनको टीवी की आवाज़ बहुत काम सुनाई देती है और दूर खड़े व्यक्ति की आवाज़ सुनाई नहीं देती है।
क्या है उपाय
ऑडिओलॉजिस्ट अश्विनी चौधरी ने कहा की ईरफ़ोन का प्रयोग करने से बचे, तेज़ आवाज़ वाली जगह पर कानो में रुई लगाकर काम करें, फ़ोन पर बहुत देर तक बात न करें, कानो की सफाई के लिए तीली या किसी भी नुकीली वास्तु का इस्तेमाल न करें, सुबह ठंडी और स्वच्छ हवा कानो में जाये इसके लिए पार्क में टहलने जाये, अधिक चिंता न करे कयोकि अधिक चिंता करने से आपकी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी पर प्रभाव पढता है जिससे आप डाइबिटीस थाइराइड रक्तचाप जैसी गंभीर बीमारीयों के शिकार हो जाते हैं और जब आप इन बीमारियों से बचने के लिए दवा लेते हैं तब ये दवाइयां आपकी बीमारी को तो सही करती हैं लेकिन साथ ही साथ आपके कानो की सुनने की क्षमता पर बुरा प्रभाव डालते हैं।