वंदना माहौर, आगरा
आगरा : न्यूरो ब्रेन एंड स्पाइन इंस्टिट्यूट के द्वारा आज फतेहाबाद रोड स्थित अमर होटल में एक सेमीनार का आयोजन किया गया जिसमे प्रमुख प्रवक्ता न्यूरो ब्रेन एंड स्पाइन इंस्टिट्यूटकी उपनिदेशक व चिकित्सकीय सेवाओं की प्रमुख डॉ. नंदनी गोकुलचंद्रन ने डाउन सिंड्रोम और अन्य न्यूरोलॉजिकल विकारों के साथ-साथ न्यूरो रिजेनरेटिव ट्रीटमेन्ट के बारे में विचार रखे।
डॉ. नंदनी गोकुलचंद्रन ने बताया कि न्यूरो ब्रेन एंड स्पाइन इंस्टिट्यूट जानी मानी न्यूरो रिजेनरेटिव रिहेबिलिटेशन थेरेपी (एनआरआरटी) एक बहुत ही सरल और सुरक्षित प्रकिया है। यह थेरेपी स्टेम सैल थेरेपी रिहेबिलिटेशन का एक संयोजन है जो की न्यूरोलॉजिकल विकारों पीड़ित उन असंख्य रोगियों के लिए एक वरदान के रूप में आई है जो आज तक ठीक से बोल-चल नहीं पाते थे। न्यूरो रिजेनरेटिव रिहेबिलिटेशन थेरेपी न्यूरोलॉजिकल विकारों से ग्रसित रोगियों के जीवन में सुधार लाती है। इस थेरेपी के माध्यम से संस्था कई बच्चो के शारीरिक व मानसिक विकारो को दूर करने की कोशिश रही है। ऐसे ही बच्चो में से एक थी ख़ुशी जिसके जीवन में इस थेरेपी के माध्यम बहुत ही बड़ा बदलाव देखने को मिला है। ख़ुशी बचपन में ठीक से बोल नहीं सकती थी और बहुत ही ज़िद्दी स्वाभाव की बच्ची थी लेकिन न्यूरो रिजेनरेटिव रिहेबिलिटेशन थेरेपी के द्वारा ख़ुशी अब अपना परिचय खुद से देने लगी है उसके हाथ पैरो के गतिविधियों में भी काफी सुधार हुआ है।
डॉ. नंदनी गोकुलचंद्रन ने डाउन सिंड्रोम करते हुए बताया कि दुनियाभर में जन्म लेने वाले 1000 या 1100 में से एक बच्चे में डाउन सिंड्रोम की समस्या होती है। यह बौद्धिक अक्षमताओं का सबसे बड़ा आम आनुवंशिक कारण है इसकी वजह से भाषा पर तो विपरीत प्रभाव पढता ही है साथ ही साथ बच्चे की मानसिक शक्ति भी काम हो जाती है। जिसके कारण बच्चा जल्दी बोलना, समझना याद, रखना नहीं समझ पाता है।