कोरोना की जंग में होगी भारत की जीत : डा0 नरेन्द्र पाल
आज तक यह कोरोना वायरस के विश्व में 1274199 के पंजीकृत केस है, और 69468 मानव जीवन काल के गाल में समा चुके हैं और साथ ही खुषी की बात यह है, कि विष्वभर में 264833 संक्रमित मरीजों का सफलतापूर्वक इजाज किया चुका हैं और वे स्वस्थ हैं। यदि भारत के परिप्रेक्ष्य में देखें तो आज तक हमारे देश में कुल संक्रमित पंजीकृत संख्या 4076 है दुख की बात यह है कि 109संक्रमित दुनिया को अलविदा कह चुके और आषाजनक बात यह है कि 291का इलाज किया जा चुका है।उत्तर प्रदेष की स्थिति भी निराशाजनक है, क्योकि संक्रमितों की संख्या 300 से अधिकपहुॅच गयी हैै। हजारों की जान ले चुका यह दानवरूपी वायरस मानवजाति में कहाॅ सें आया शंका यह भी है कि कही इसका विकास वुहान की प्रसिद्व जैविक प्रयोगशाला में तो नही हुआ यह एक परिकल्पना जैसी है । खैर उलझनों के बजाय कोरोना से हराने के उपायों पर विचार किया जाये ।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे महामारी घोषित कर दिया गया है और भारत में इस आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत महामारी माना गया जिसके बाद केन्द्र व राज्य सरकारों ने इस महामारी के निदान हेतु कठोर कदम कडे नियमों की पहल शुरू हुई जिसमें 22 मार्च को जनता कफ्र्यू की घोषणा माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा की गयी और अधिकांशत ने पालन भी किया। कोरोना वायरस से लडने के लिए हमारी सरकार ने 24 मार्च को अपने 1.3 अरब भारतीयों को 21 दिन का लाॅकडाउन में डालने का जनता के हित में अभूतपूर्व फैसला लिया इस फैसले से समाज में अफरा तफरी मच गयी जैसे कि कोई भूचाल आ गया हो । लोग घरों से निकलने लगे और बाजार से घरेलू सामान खरीदने की होड़ लग गयी। साथ ही गरीब मजदूर वर्ग जो रोजी रोटी और अपने सपनों को पंख लगाने के लिए प्रवासी होता है उसे काम मिलना बन्द हो गया । लोग सडकों पर निकलने लगे और अपने घर की ओर पलायन शुरू हो गया। जनता की नासमझ और मजबूरी के चलते सरकार को इतनी बड़ी*बड़ी रैलियोें, कुम्भ जैसे बडी भीड को व्यवस्थित करने का अनुभव भी काम ना आया। भारतीय समाज की रीड की हडडी कही जाने बाली जनता सडकों पर पैदल, भूखी, प्यासी ही अपने घर की ओर निकल पडी। यहाॅ तक कि अलग-अलग राज्यों में षिक्षा प्राप्त कर रहे हमारे छात्र भी इससे अछूते नही रहे।
अभी हाल ही देश में अनुमानित 32 फीसदी मामले निजामुद्दीन मरकज में तब्लीगी जमात से जुडे है। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने कहा है, कि देष लगातार जंग से लड रहा है । सरकार निरंन्तर मरीजों की पहचान में जुटी हुई है, क्योकि अगर एक भी व्यक्ति छूट जायेगा तो सारी कोषिषें बेकार हो जायेगीं । दिन प्रतिदिन बढता हुआ ग्राफ चिन्ता और चिन्तन का विषय है । भारत में जाने अनजाने में संक्रमितों की संख्या बढती जा रही है । चूकि इस संक्रमण का कोई अभी तक कोई सटीक इलाज करने वाली वैक्सीन अभी तक बाजार मे नही आयी है, डाक्टरों द्वारा लक्षणों के आधार पर दूसरे इलाज की दवाओं का उपयोग किया जा रहा है। कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए इसके लक्षणों को पहचानना बहुत जरूरी है । यदि सही प्रकार से लक्षणों को पहचान लिया तो इस पर पर काबू पाना कोई बडी बात नही होगी। संक्रमित व्यक्ति को सबसे पहले सांस लेने में कठिनाई, गले में दर्द, जुखाम, खाॅसी, और बुखार फिर यह निमोनिया का रूप ले लेता है साथ ही किडनी से जुडी कई तरह की दिक्कतों को बढा देता हैं।
इतिहास गवाह है, कि जब भी इस तरह की समस्याऐं आयी है। शासन प्रशासन जनता जनार्दन ने जी जान लगायी है। समाज के जागरूक वर्ग धर्म जाति से उपर उठकर समाज सेवा में सरकार के साथ-साथ काम कर रहा है। सामान्य जन से लेकर धनाडय वर्ग प्रधानमंत्री राहत कोष में चन्दा देने से भी पीछे नही रहा है । करोडों रूपये सरकार इससे निपटने के कार्यो में लगा रही है । हमारे समाज के सफाई योद्वा, पैरामेडिकल, डाक्टरों, पुलिस, प्रशासन, स्वैछिक संगठनों, धार्मिक संगठन, की दिन रात की मेहनत बेकार नही जायेगी निश्चय ही हम सब मिलकर इस कोरोना से जंग जीत जायेगें।