ओपी वरुन, RNI न्यूज़
आगरा : टिड्डी एक कीट है जो बलुई मिट्टी वाले क्षेत्रों में अंडे देती हैं जिससे छोटे-छोटे कीट निकलते हैं और बड़े होने पर लाखों करोड़ों की संख्या में उड़ान भरते हुए पाकिस्तान के रास्ते राजस्थान की सीमा में प्रवेश करते हैं। टिड्डी दल में करोड़ों-अरबो की संख्या में लगभग दो ढाई इंच लंबे कीट होते हैं जो फसलों को कुछ ही घंटों में चट कर जाते है। इन दिनों हवा का रुख आगरा की तरफ है, आगरा में तातपुर, खैरागढ़ ,फतेहपुर सीकरी किरावली, पिनाहट, जैतपुर कला या बाह के रास्ते टिड्डी दल प्रवेश कर सकता है। टिड्डी दल का आकार लगभग 4 किलोमीटर है। ये टिड्डी राजस्थान- पाकिस्तान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान इत्यादि बलुई मिट्टी वाले क्षेत्रों में अंडे देती हैं। उसके बाद यह सभी प्रकार के हरे पत्तों पर आक्रमण करते हैं।
किसान ये करे बचने के उपाय
- अपने खेतों में आग जलाकर, पटाखे फोड़ कर, थाल-चम्मच बजाकर, ढोल-नगाड़े बजाकर आवाज करें। टिड्डी दल के पीछे डीजे या उच्च ध्वनि वाले यंत्र बजाने से भी टिड्डी दल भागता है।
- कीटनाशक रसायनों जैसे क्लोरपीरिफॉस 20% EC की 2.5 Ml मात्रा प्रति लीटर पानी, lambda-cyhalothrin, 4.9% EC की 1Ml मात्रा प्रति लीटर पानी, डेल्टामथ्रीन 2.8 % EC की 1Ml मात्रा प्रति लीटर पानी में घोलकर टिड्डी दल के ऊपर छिड़काव करें। कीटनाशक छिड़काव के बाद कम से कम 1 सप्ताह तक हरा चारा पशुओं को ना खिलाए।
- यह टिड्डी दल शाम को 7 से 8 बजे के आसपास जमीन पर बैठ जाता है और फिर सुबह 8-9 बजे के करीब उड़ान भरता है अतः इसी अवधि में इनके ऊपर कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करके इनको, मारा जा सकता है।