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टेलीविजन दिवस विशेष : जब टीवी ने कर दिये थे रास्ते जाम


संजू थोडा शर्मा जी की तरफ घुमा नहीं ,नहीं खन्ना जी की तरफ से| आप सबको ध्यान होगा सन 1982 में जब एशियाड खेलों का आयोजन था तो हर गली ,मोहल्ले और कॉलोनी में हर आठ दस घर बाद यह आवाज़ आम बात थी| टेलीविजन (दूरदर्शन )की बहार आ गयी थी| बड़े बड़े एंटीना लग गये थे । जी हां, आज हम उसी टेलीविजन (दूरदर्शन)की बात कर रहे हैं ,जिससे मनोरंजन, शिक्षा, खबर और राजनीति से जुड़ी गतिविधियों के बारे में सूचनाएं रामायण ओर महाभारत जैसे सीरीयल दिखाए | घर-घर तक टेलिविज़न ने दस्तक दी ओर लोगों की शिक्षा और मनोरंजन दोनों की पूर्ति की । दूरदर्शन  सूचना प्रदान करके समाज में अहम भूमिका निभाता है। 

    गौरतलभ है कि टेलीविजन का आविष्कार सन 1927 में अमेरिका की वैज्ञानिक जॉन लॉगी बेयर्ड किया था| सन 1934 तक टेलीविजन पूरी तरह इलेक्ट्रॉनिक स्वरूप में आ चुका था | 1938 में औपचारिक तौर पर वैज्ञानिक जॉन लॉगी बेयर्ड  जॉन लॉगी विलियर्स ने टेलीविजन को मार्केट में उतार दिया था फिर 2 साल बाद इसके आधुनिक टीवी स्टेशन खोलकर टेलीविजन की बिक्री शुरू की | संयुक्त राष्ट्र ने टेलीविजन का आम आदमी की जिंदगी पर बढ़ते हुए प्रभाव को देखते हुए इसे 21 नवंबर 1996 को विश्व टेलीविजन दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की | जल्द ही यह लोगों की आदत का हिस्सा बन गया लेकिन इसका प्रचार और तीव्र गति से लोगों के घरों का हिस्सा सन 1982 में एशियाड खेलों के आयोजन के दौरान हुआ| 

    आज 21 नवंबर 2020 को टेलीविजन दिवस पर सभी टेलीविजन विक्रेताओं के साथ भारत की आम जनता को उनकी जीवनशैली में परिवर्तन लाने के लिए उन्हें बहुत-बहुत शुभकामनाएं | यह आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता बन गई है।  

लेखक- राजीव गुप्ता, आगरा