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गोमती रिवर फ्रंट घोटाला : CBI छापे में बरामद लैपटॉप और मोबाइल फोन खोलेंगे कई राज


लखनऊ: उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के शासनकाल में हुए गोमती रिवर फ्रंट घोटाले की छानबीन में जुटी सीबीआइ कमीशनखोरी की तह तक पहुंचने के लिए आरोपितों के मोबाइल कॉल डिटेल भी खंगालेगी। सोमवार को 49 ठिकानों पर की गई छापेमारी के दौरान बरामद लैपटॉप और मोबाइल फोनों से भी जानकारियां जुटाने का प्रयास किया जा रहा है। जांच एजेंसी इसके जरिए खासकर आरोपित अधिकारियों, फर्म संचालकों व ठेकेदारों के बीच के आपसी कनेक्शन पता लगाने की कोशिश करेगी, जिससे यह पता लगाया जा सके कि बिना टेंडर के काम हासिल करने के लिए किसने किसकी मदद ली थी और इस पूरे खेल में शामिल आरोपितों की आपसी नेटवर्किंग क्या थी। सीबीआइ आरोपितों के रसूखों की भी छानबीन कर रही है। 

    गोमती रिवर फ्रंट घोटाले की छानबीन में जुटी सीबीआइ कमीशनखोरी की तह तक पहुंचने के लिए आरोपितों के मोबाइल कॉल डिटेल भी खंगालेगी। छापेमारी के दौरान बरामद लैपटॉप और मोबाइल फोनों से भी जानकारियां जुटाने का प्रयास किया जा रहा है। यूपी में सपा शासनकाल में 1500 करोड़ रुपये से अधिक लागत की गोमती रिवर फ्रंट परियोजना में हुई धांधली की जांच में अब तक सामने आए तथ्यों के आधार पर ही बड़ों की भूमिका की भी जांच शुरू की गई है। सूत्रों का कहना है कि सीबीआइ कुछ आरोपितों से जल्द नए सिरे से पूछताछ भी शुरू कर सकती है। सीबीआइ ने रिवर फ्रंट घाटाले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से आरोपितों की संपत्तियों का ब्योरा भी मांगा है। ईडी ने पूर्व में सिंचाई विभाग के तत्कालीन अधीक्षण अभियंता समेत तीन आरोपितों की करीब एक करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच की थी। रिवर फ्रंट परियोजना को लेकर कैबिनेट में लिए गए निर्णयों का ब्योरा भी जुटाया जा रहा है।

    बता दें कि गोमती रिवर फ्रंट परियोजना से जुड़े करीब 407 करोड़ रुपये के और कामों में घपला सामने आने के बाद सीबीआइ ने दो जुलाई को इस मामले में दूसरी एफआइआर दर्ज की थी। 407 करोड़ रुपये के 661 कार्यों में हुई धांधली की जांच के लिए सीबीआइ ने सोमवार को 49 स्थानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की थी।