सूर्य नगर में मनाया महर्षि दयानन्द सरस्वती जन्म जयंती महोत्सव
जिला प्रतिनिधि सभा के कोषाध्यक्ष विजय अग्रवाल ने बताया कि महोत्सव में सभी ने प्रातः 8 बजे उमेश चंद्र आर्य ने वैदिक मंत्रोचारण से यज्ञ सम्पन्न कराया। उसके तत्पश्चात प्रातः 9 बजे 198 गौ घृत की माला प्रज्जवलन किया गया। प्रातः 10 बजे से अंतरराष्ट्रीय वैदिक प्रवक्ता डॉ. वागीश आचार्य ने अपने प्रवन से वैदिक ज्ञान की अमृत वर्षा की। 12 बजे से ऋषि प्रसाद का आयोजन किया। सभी ने उनके जीवन से प्रेरणा लेने एवं उनके आदर्शों को जीवन में उतारने का आह्वान किया।
नाई की मंडी के प्रधान सीए मनोज खुराना ने कहा कि स्वामी दयानन्द सरस्वती ने 'वेदों की ओर लौटो' प्रमुख नारा था। आर्य समाज के नियम सिद्धांत प्राणी मात्र के कल्याण के लिए हैं। महर्षि दयानंद सरस्वती प्रथम महापुरुष थे जिन्होंने ‘स्वराज’ शब्द का प्रयोग किया। स्वामी जी ने भूमिगत रहकर स्वाधीनता के आंदोलन को गति प्रदान की।
भजनो से वातावरण हुआ भक्तिमय
कार्यक्रम में भजन उपदेशिका वंदना आर्य और मिथलेश दुबे ने भजनों से महर्षि दयानंद का गुणगान किया | उन्होंने सौ बार जन्म लेंगे, सौ बार फ़ना होंगे, एहसान दयानन्द के फिर भी ना अदा होंगे..., भारत का कर गया बेड़ा पार, वो मस्ताना योगी.. जैसे एक के बाद एक भजनो से सभी को भावविभोर कर दिया। छूआछूत मिटाने, नारी सम्मान दिलाने, गो के प्राण बचाने, पाखंड का गढ़ ढहाने, वैदिक नाद बजाने, सोया देश जगाने, बिछड़े गले लगाने, ऋषि दयानंद आए थे... आदि का जन्म जयंती महोत्सव में सभी उद्घोष कर रहे थे।
ये रहे मौजूद
कार्यक्रम का संचालन आर्य अश्वनी दुबे और संयोजन उपप्रधान राजेंद्र मल्होत्रा ने किया। इस अवसर पर रामप्रकाश गुप्ता, गोपाल प्रसाद अग्रवाल, शांति नागर, भारत भूषण सामा, राजीव दीक्षित, अनुज आर्य, विकास आर्य, वीरेंद्र कनवर, रमाकांत सारस्वत, उमेश पाठक, राजीव खुराना, प्रभात माहेश्वरी, युधिष्ठिर आर्य, सुशील हसीजा, राजकुमार आहूजा आदि मौजूद रहे।