नयी दिल्ली : देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तारी के बाद छात्र राजनीति के केंद्र में आए और राष्ट्रवाद तथा मुक्त अभिव्यक्ति पर राष्ट्रव्यापी बहस को जन्म देने वाले कन्हैया कुमार बिहार के गांव से शुरू हुए अपने सफर पर एक किताब लिखेंगे। किताब ‘बिहार टू तिहाड़’ स्कूल से उनकी यात्रा, छात्र राजनीति में उनके बढ़ते जुड़ाव, करीब ढाई महीने पहले उनकी विवादास्पद गिरफ्तारी और उसके बाद की दास्तान को समेटा जायेगा।
28 वर्षीय कन्हैया ने अपनी किताब के बारे में कहा, ‘‘भगत सिंह ने कहा था किसी को मारना आसान है लेकिन आप विचार को नहीं मार सकते। मैं नहीं जानता यह लड़ाई हमें कहां ले जाएगी लेकिन मैं सोचता हूं कि हमारे विचार किताब के तौर पर इतिहास में स्थायी रूप से उकेरे जाने चाहिए।’’ जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष ने यह भी कहा कि वह अपने तजुर्बे के जरिए भारतीय समाज में निहित अंतर्विरोधों तथा भारत के युवाओं की उम्मीदों, हताशा और संघर्ष के बारे में लिखना चाहते हैं। जगरनॉट प्रकाशन किताब का प्रकाशन करेगा। प्रकाशक चिकी सरकार ने कहा, ‘‘यह किताब हमारे समय को बयां करेगी। कन्हैया एक आवाज हैं जिसे हर किसी को सुनना चाहिए और हमें गर्व है कि हम जगरनॉट में ज्यादा से ज्यादा रीडरशिप के लिए इसे ला रहे हैं।’’ जमानत पर रिहा होने के बाद कन्हैया ने जेएनयू कैंपस में हिंदी में करीब 40 मिनट का यादगार भाषण दिया था जिसे टीवी और इंटरनेट पर लाखों लोगों ने देखा। वह बिहार में बेगूसराय जिले में बरौनी के निकट बिहट गांव से हैं। पटना में नालंदा खुला विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद वह जेएनयू पहुंचे। फिलहाल वह स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टेडीज से अफ्रीकन स्टडीज में पीएचडी कर रहे हैं।