विश्व अस्थमा दिवस पर विशेष
आगरा : जब भी हम अस्थमा के बारे में सोचते है तो छींकने या घरघराहट करते रोगी की कल्पना करते है लेकिन क्या ये तस्वीर हमेशा ही ऐसी होती है ? अकसर हम बीमारी को समझने और उसे अपनाकर उसके इलाज के बारे में नहीं सोचते बल्कि बीमारी को नजरअंदाज कर स्थिति को अधिक गंभीर कर देते है। अगर आपको अस्थमा की समस्या है तो घबराने की कोई जरूरत नहीं है, ये कोई ऐसी बीमारी नहीं है कि आप अपनी जिंदगी को खत्म समझे बल्कि अगर इस बीमारी को सही तरीके से नियंत्रित किया जाएं तो आप आसानी से अपने रोज़मर्रा के काम कर सकते है। सही इलाज के साथ अस्थमा को आसानी से नियंत्रित कर परिवार व दोस्तों के साथ बेहतरीन जिंदगी बिताई जा सकती है। तो ये कहना गलत न होगा कि अस्थमा को आसानी से जीता जा सकता है। इस बारे में डॉ० गोपी चन्द गुप्ता कहते है, ‘‘ अस्थमा गंभीर बीमारी है जिसे लंबे समय तक इलाज की जरूरत होती है। कई रोगी जब खुद को बेहतर महसूस करते है तो वह इंहेलर लेना छोड़ देते है। ये खतरनाक भी हो सकता है क्योंकि आप उस इलाज को बीच में छोड़ रहे है जिससे आप फिट और स्वस्थ रहते हो। रोगियों को इंहेलर छोड़ने से पहले अपने डाॅक्टर से परामर्श लेना चाहिए। अपनी मर्जी से इंहेलर छोड़ना जोखिमभरा हो सकता है। ‘‘
इंहेलर न लेने की वजह के बारे में बताते हुए डॉ० जी. वी. सिंह कहते है, ‘‘ रोगियों के इंहेलर न लेने के कई कारण है। इसमें दवाइयों की कीमत, साइड इफैक्ट्स, इंहेलर को लेकर भ्रांतियां और सामाजिक अवधारणाएं शामिल है। इसके साथ साथ मनोवैज्ञानिक बाधाएं भी अवरोध पैदा करती है जैसे कि स्वस्थसेवा से जुड़े प्रशिक्षक से असंतोष, अनुचित उम्मीदें, हालत के प्रति गुस्सा आना, स्थिति की गंभीरता का अहसास न होना और अपनी सेहत के प्रति लापरवाही बरतना सम्मिलित है।‘‘ इस तरह की भ्रांतियों और अवरोधकों को रोकने के लिए लोगो को इंहेलेशन थेरेपी के बारे में समझाना बहुत महत्वपूर्ण है जिससे वह इस इलाज को बीच में न रोके। अस्थमा के खिलाफ लड़ना यानि कि इंहेलेशन थेरेपी अपनाना ही सबसे प्रभावी इलाज है। अब भारत में ये इलाज बहुत ही सस्ती कीमत यानि कि चार रूपये से लेकर 6 रूपये प्रतिदिन की कीमत पर उपलब्ध है। इसका अर्थ है कि दवाई की सालभर की सप्लाई एक रात अस्पताल में गुजारने की कीमत से भी कम है।