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अगर आप का जन्म 90 के दशक का है तो सारे काम छोड़ कर ये जरूर देखे

बचपन से जुड़ी हुई आज भी कोई चीज़ हमारे सामने आ जाती है तो हमे अपना प्यारा बचपन याद आ ही जाता है और एक पल को हम किसी भी काम को कर रहे होते है तो रुक ही जाते है और उन यादों मे खो कर सोचने लगते है कि काश ये बचपन फिर से वापस आ जाए|  इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपको प्रिया का स्कूटर याद आएगा, पलास्टिक की कुसियों को इक्कठा करके उस के ऊपर बैठने का वो पल याद आएगा| स्कूल का वो बैग जिसमे दो चटकनी होती थी और वो मेले मे मिलने वाला पानी मे चलने वाला स्टीमर जिसमे आग लगाने पर वो चलता था| स्याही का वो निब वाला पेन, कंचे वाली वो ठंडी बोतल याद आएगी, कैसे स्कूल के बाहर आप डेढ़ रुपये मे पी कर घर आते थे| 

हवा मे  उढ़ती हुई बोल और उस से निकालने वाली सिटी की आवाज़ जो लोगो को परेशान करने के लिए हम उनके पास बजते थे| स्कूल की किताबों पर कवर के ऊपर लगाने वाली मिक्की माउस वाली नेम स्लिप के लिए घर मे मम्मी -पापा से झगड़ना भी याद आएगा| धूप मे लेंस से कागज को जला कर बहुत ज्यादा खुश होना| रिक्शे मे स्कूल जाना और हमेशा आगे वाली सीट पर बैठने के लिए रिक्शे वाले से लड़ना, मेले से प्लास्टिक का चूहा खरीद कर लाना और उसकी स्प्रिंग को दबा कर चलना और पूरे दिन बचपन के दोस्तो के साथ छुपन-छुपाई खेलना, टीवी पर दूरदर्शन न आने पर बार-बार छत पर जा कर एंटीना सही करना और फिर भी न आने पर घंटो टीवी के मच्छर देखना|

बूक स्टाल से नयी कॉमिक्स कलेक्शन लाना और फिर पढ़ कर दोस्तो से उसके बदले मे दूसरी कॉमिक्स लेना, पतंग के शौकीन होने पर मंजे से चरखी को भरवाना और गली मे कुल्फी, गोलगपे वाले आने पर तुरंत मम्मी से वही खाने की जिद करना| संगीत के शौकीन कैसिट वाला टेप बजते थे और फिल्म वाले BCR पर फिल्म देखते थे| 


















































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