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मनरेगा योजना में घोटाला, जॉब कार्ड कई, रोजगार कम.......



प्रदेश में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत 10 लाख से ज्यादा परिवारों के पास जॉब कार्ड हैं। लेकिन, गत वर्ष (2017-18) में सिर्फ 21 हजार परिवार को ही 100 या इससे ज्यादा दिन का काम मिला। इसमें सबसे कम हरिद्वार के 467 परिवार हैं, जबकि सबसे अधिक 2781 परिवार देहरादून के हैं। वहीं, वर्ष 2016-17 में प्रदेशभर में 25 हजार से ज्यादा परिवारों को 100 दिन काम मिला था। 

वर्ष 2006 में मनरेगा को चमोली, चंपावत और टिहरी जिले में शुरू किया गया था, उस वक्त मजदूरी 73 रुपये थी। इसके बाद अप्रैल 2007 में हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर और अप्रैल 2008 में शेष सभी जिलों में मनरेगा लागू किया गया था। योजना का उद्देश्य बेरोजगारों को रोजगार देना था। लेकिन, वर्तमान में ग्राम पंचायतों के विकास कार्यों में मनरेगा की अहम भूमिका है। सड़क निर्माण से लेकर बाढ़ सुरक्षा, पेयजल समेत तमाम कार्य मनरेगा की धनराशि से किए जाते हैं।