आगरा : मानव संसारिक पदार्थो में फंसकर परमात्मा को प्राप्त नहीं कर सकता। जब तक संसार की नश्वर वस्तुओं से मन विरक्त नहीं होता, ज्ञान आंखें नहीं खोलता। संसार में मानव की यही तो असली परीक्षा है। भोग विलास का त्याग कर जो परमात्मा को देखता है, वही भक्तिपथ पर आगे बढ़ पाता है ये कहना था मिलन बैण्ड परिवार के सौजन्य से विजय नगर कॉलोनी के अभिनंदन पुरुषोत्तम ग्रीन मे चल रही आठ दिवसीय भागवत कथा मे भगवाताचर्या का| छंटवे दिन महारास लीला, उद्धवचरित्र एंव रुक्मणी विवाह का वर्णन किया गया| रविवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालुओ ने श्रद्धाभाव के साथ श्रीमद्भागवत कथाज्ञान यज्ञ मे भाग लिया | रुक्मणि-कृष्ण विवाह का अत्यंत मार्मिक विवरण श्रद्धालुओं के समक्ष व्यक्त किया। व्यास आचार्य गोपाल भैया ने कहा कि श्रीकृष्ण और रुक्मणिजी का विवाह अपने आप में अनूठा है। इस दौरान प्रभु को कुछ परेशानियों का सामना भी करना पड़ा, लेकिन वे रुके या थके नहीं और अंततः उन्होंने रुक्मणिजी से विवाह किया। इस प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए कहा कि मनुष्य को कभी भी जीवन में रुकना या थकना नहीं चाहिए। जीवन सिर्फ और सिर्फ चलते रहने का नाम है। कथा के मुख्य यजमान रमा देवी शर्मा, सुनील शर्मा, रानी शर्मा रहे| भक्तगण कृष्ण रासलीला और रुक्मणी विवाह के भजनो पर जमकर झूम उठे|
जैसे-जैसे भागवत कथा आगे बड़ती जा रही हैं व्यास आचार्य गोपाल भईया के मुखाबिंद से इस कथा को सुनने के लिये श्रद्धालुओ का सैलाब उमड़ा रहा है। व्यास गददी पर विराजमान आचार्य गोपाल भईया ने प्रवचन के दौरान श्रोताओ को बताया कि बिना भाव के भगवान कीमती चीजों को भी ग्रहण नहीं करते। यदि भाव से एक फूल ही चढ़ा दें तो प्रभु प्रसन्न हो जाते हैं। जिस व्यक्ति में ईश्वर प्रेम का भाव पैदा हो जाए तो उसे ईश्वर की लगन लगी रहती है और सत्य पक्ष पर चलने वाला कभी पीछे नहीं रहता। भगवान स्वयं उसके साथ होते हैं। कथा व्यास आचार्य गोपाल भईया के मुखार बिन्दु से भक्तों को श्रीमद् भागवत कथा का रसपान करवाया जा रहा है। इस अवसर पर भरत शर्मा, धर्मेंद्र शर्मा, बब्बू भैया, कपिल नागर, मोहिनी शर्मा, वर्षा शर्मा, अशोक गोयल, संदीप अग्रवाल, वीरेन मित्तल,राहुल शर्मा, जय प्रकाश शर्मा, मधु गोयल, सीमा सिंघल, राजीव अग्रवाल, अंकिता, हर्ष, आर्यन, गौरी, नंदनी, नेहा आदि मौजूद रहे|
भागवत कथा मे आज
मीडिया प्रभारी विमल कुमार ने बताया कि श्रीमद्भागवत कथाज्ञान यज्ञ मे सातवे दिन सोमवार को सुदामा चरित्र, श्री शुक्रदेव विदाई वर्णन के बाद श्रीमद्भागवत तथा श्रीव्यास पूजन किया जाएगा| भागवत कथा निरंतर 14 व 15 मई तक दोपहर 2 से शाम 6 बजे तक चलेगी। कथा के समापन पर15 मई को हवन के बाद सभी भक्तों को भोजन प्रसादी वितरित की जाएगी|