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सेंट जोंस प्राचार्य पर लगा अवैध नियुक्ति का आरोप... जाने



आगरा : सेंट जोंस कॉलेज में प्राचार्य की अवैध नियुक्ति का मामला फिर गरमाया है। जिसमे आरोप लगाया है कि नियुक्ति के पात्र बनाने के लिए एपीआई अंक में वृद्धि के लिए इन फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल हुआ। आरोप है कि प्राचार्य बनने के बाद हर काम में कमीशन लिया जा रहा है। छात्रों के प्रवेश में फर्जीवाड़े के भी आरोप है। उच्च स्तरीय जांच में खुलासा होने के बाद शासन ने डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय को कार्रवाई के आदेश दिए हैं हालांकि यह आदेश स्थानीय स्तर पर दबा दिए गए।

बुधवार को पत्रकारों से बातचीत में  हायर एजुकेशन एक्टिविस्ट एडवोकेट मदन मोहन शर्मा ने यह जानकारी दी। वही, कॉलेज प्राचार्य डॉ० पीटर एडवर्ड जोजफ का कहना है कि सभी आरोप निराधार है और मेरी किसी भी मामले में संलिप्ता नही है कुछ लोगो द्वारा मेरी छवि को खराब करने का प्रयास है। जिनके विरुद्ध जल्द कानूनी सलाह से कार्यवाही की जाएगी।

आरोपकर्ता मदन मोहन शर्मा का कहना है कि सेंट जोंस  कॉलेज में होने वाले कामों में कमीशन और छात्रों के प्रवेश में फर्जीवाडा कर अवैध कमाई करने के लिए चेयरमैन गवर्निंग बॉडी, सेंट जोंस कॉलेज के साथ मिलकर जून 2015 में डॉ पीटर एडवर्ड जोजफ ने चयन समिति की बैठक में प्राचार्य पद पर नियुक्ति की संस्तुति करा ली। इस मामले में शिकायत के बाद विशेष सचिव, उत्तर प्रदेश के आदेश के बाद अपर जिला अधिकारी वित्त एवं राजस्व, क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी और संयुक्त निदेशक माध्यमिक को जांच सौंपी गई। 28 मई 2018 को तीन सदस्यीय समिति द्वारा की गई जांच में कहा गया है कि प्राचार्य पद के लिए एकेडमिक परर्फोमेंस इंडीकेटर एपीआई 400 अंक होना चाहिए। प्राचार्य पद पर नियुक्ति के लिए डॉ पीई जोजफ ने अपनी प्रोफाइल में एपीआई 585. 93 दर्शाया, जांच कमेटी के सामने पेश दिए गए दस्तावेज में एपीआई 488. 7 दर्शाया गया। एपीआई का स्कोर अधिक दर्शाने के लिए सेमिनार में सहभागिता की जगह पेपर प्रजेंट करने के अंक जोड दिए गए।

कैपिंग का नियम भी नहीं लगाया गया। जांच कमेटी द्वारा यूजीसी के मानकों के अनुसार एपीआई की गणना की गई, यह 400 अंक से बहुत कम थी। प्राचार्य पद के लिए तीन कैटेगिरी के मानक पूरे होने चाहिए, पहली कैटेगिरी में 15 साल का शै​क्षणिक अनुभव, दूसरी कैटेगिरी में पीएचडी डिग्री व तीसरी कैटेगिरी में 400 एपीआई अंक होने चाहिए। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि डॉ पीई जोजफ के तीसरी कैटेगिरी के मानक के अनुसार एपीआई 400 से कम है, इसलिए सेंट जोंस कॉलेज के प्राचार्य पद पर डॉ पीई जोजफ का चयन वैध नहीं है। इस रिपोर्ट को संलग्न करते हुए मधु जोशी विशेष सचिव ने 26 सितंबर 2018 को कुलसचिव डॉ भीमराव आंबेडकर विवि को लिखे पत्र में आवश्यक कार्रवाई करते हुए 15 दिन में अवगत कराने के निर्देश दिए हैं। लेकिन सेंट जोंस कॉलेज के प्राचार्य के साथ मिलकर आंबेडकर विवि के कुलसचिव द्वारा फाइल को दबा दिया गया है। आरोपकर्ताओ में प्रमुख रूप से विवेक शर्मा एडवोकेट, वरिष्ठ रंगकर्मी अलका सिंह, मनु श्रीवास्तव एडवोकेट, विनय कुमार शर्मा आदि मौजूद रहे।