खबर : अशोक वर्मा, बिग पेजेस टीम
आगरा : इतिहास से देवी अहिल्याबाई होलकर, मदर टेरेसा, इला भट्ट, महादेवी वर्मा, राजकुमारी अमृत कौर, अरुणा आसफ अली, सुचेता कृपलानी और कस्तूरबा गांधी, इंदिरा गांधी आदि जैसी कुछ प्रसिद्ध महिलाओं ने अपने मन-वचन व कर्म से सारे जग-संसार में अपना नाम रोशन किया है। इंदिरा गांधी ने अपने दृढ़-संकल्प के बल पर भारत व विश्व राजनीति को प्रभावित किया है। उन्हें लौह-महिला यूं ही नहीं कहा जाता है। उन महिलाओं जैसी ही एक लड़की फातिमा खान मजहबी बंदिशों व अड़चन को पार करती हुई शहर की हर लड़की के लिए एक मजबूत मिसाल कायम करती आ रही हैं। पिता डॉ एम. ए. खान ने बेटा-बेटी में फर्क किये बिना उच्च शिक्षा दिला शहर में समाज सेवा करने की प्रेरणा देते आ रहे हैं। फातिमा खान परिवार में चौथे नंबर की संतान है|
फातिमा खान ने मुस्लिम समुदाय में बेटियों की शिक्षा को अधिक तवज्जों न देने के लिए पिछले 5 साल से शहर के प्रत्येक हिस्से में जाकर नुक्कड़ नाटक, जागरूतकता अभियान के तहत कई बेटियों के परिवारिजनों को जागरूक कर स्कूलों में दाखिला कराया है। फातिमा खान ने खुद ग्रेजुएशन करने के बाद 4 मास्टर डिग्री (M.A. Geo, PGDCA, MCA etc) किया। टेलेंट की बात करें तो फातिमा आज भी शास्त्रीय संगीत में महारथ हाँसिल कर रहीं है। इसके साथ ही जरूरतमंद महिलाओं को सिलाई और आॅर्टिफिशिल ज्वेलरी बनाने का भी प्रशिक्षण देती आ रहीं है, शहर में तमाम महिलाओं को आत्मनिर्भर बना कर महिलाओं के हुनर का प्रदर्शन करने के लिए समय समय पर शहर में लगने वाले मेलों में स्टॉल लगाकर लोहा मनवा चुकी हैं। शिक्षा और सेवा की रोशनी से प्रेरित होकर फातिमा खान अपनी हम उम्र की लड़कियों से अलग रास्ते पर रहीं हों, फातिमा खान अभी अविवाहित होने के बाद भी शहर में 14 शादी करा कर विवाह का जीवन में क्या महत्व होता है ये वो भली भांति समझ गयी हैं।
फातिमा खान एक संस्था की अध्यक्ष भी है अपनी टीम के साथ हर रविवार, गरीब, बेसहारा लोगों को जरूरत का सामान देते आ रहीं है, प्रतिदिन ऑफिस के बाद, घर पर ही आप पास के क्षेत्रों की महिलाये अपने परिवार की परेशानी, प्रशासनिक कार्य, सरकारी योजनाओं की जानकारी, स्वास्थ्य पर चर्चा, बच्चों की शिक्षा, शोषण व तमाम समस्या का समाधान करना भी दिन चर्या है। फातिमा खान ही वो लड़की है जिंसने आगरा शहर में महिलाओं को स्वच्छता के लिए शहर में निकलना सिखाया। जहाँ महिलाएं घर को ही साफ-सुथरा रखना समझती थी, उनके प्रयास को महिलाये आज भी सराहती है।